मैथिली कथा – केहन सजाय ?





 सुजीत कुमार झा

कामनी मैडम काज समाप्त कएलाक बाद चश्मा उतारलीह । हुनका जाढ़क अनुभव भऽ रहल छल । आइ आठ बाजि गेल । साँझ रात्रीमे परिवर्तित भऽ गेल छल । चौकीदारकँे आफिस बन्द करबाक आदेश दऽ ओ साल ओढ़ली आ अपन रुम दिस बढि़ गेली । कामनी मैडमकेँ एतय अएला एक हप्ता मात्र भेल अछि ।
एकटा सरकारी विद्यालयकेँ प्रधानाध्याप पदसँ अवकाश प्राप्त मैडम अपन घर जाए चाहैत छलीह । मुदा मारवाड़ी सेवा समितिक अध्यक्ष रामरतन शर्माजी हुनका महिला सदन होस्टलकेँ जिम्मेवारी स्वीकारएके लेल बाध्य कऽ देलन्हि । महिला सदनकँे मारवाड़ी सेवा समिति चला रहल अछि ।
चारि हजार विद्यार्थीक प्रधानाध्यापक लेल ई सदन छोट छल । शर्माजी एहि सदनकँे लेल कोनो अनुभवी व्यक्ति खोजैत छला । एहिद्वारे कामनी मैडमसँ ई पदभार ग्रहण करबाक आग्रह कएलन्हि जकरा मैडम अस्वीकार नहि कऽ सकलीह । एतय पचास महिला, भोजन बनाबएबला तीन गोटे भनसिया आ किछु कार्यालयक कर्मचारी छल । एतय रहएबला कुल ५७ सदस्य छल ।
सदनकँे नियमानुसार ९ बजे प्रार्थनाक लेल सभ सदस्य सभाहलमे उपस्थित होइत छल । एहिद्वारे मैडम महिलासभकँे चिन्हए लागल छलीह । एहिमे किछु विवाहित सेहो छल । केओ सरकारी कर्मचारी, केओ बिमा कम्पनी, केओ शिक्षीका, केओ एनजीओ तऽ किछु इन्जिनियर सेहो छल ।
हरेक दिन अपन काजक हिसाब सँ ओसभ जाइत छल मुदा साँझ आठ वजे धरि कोनो हालतमे घूरि जाएकेँ नियम छल । ओना मार्केटिङ्ग वा एनजीओमे काज करएबलाकेँ राति ९ बजे धरिकेँ लेल छुट छल । आवश्यकता पड़ला पर ओ राति १० बजे धरि बाहर रहि सकैत छल मुदा एहिकेँ लेल मैडमकेँ पहिले सूचित करएकँे नियम छल ।
आत्मविश्वास आ बुद्धिमतासँ काज करएबला उच्च शिक्षित महिलाकेँ देखि कऽ मैडम स्त्रीकेँ बदलैत प्रतिभा पर बहुत प्रसन्न होइत छलीह । असगर रहथि अबलाकँे सबला बनैत देखि हुनका नीक लगैत छल । ओ एतय एक वर्षक लेल अनुबन्धित छलीह । सदनमे अलग–अलग वर्ग छल । एटैच बाथरुम बला रुम, तीन बेड बला रुम आ फेर चारि बेड बला रुम । चारि बेड बला रुमक लेल बाथरुम बाहर छल । मैडमकेँ प्रभाव सँ एक्के हप्ता भीतर होस्टलमे सफाई तथा अन्य कार्य नियमपूर्वक होबए लागल ।
एतए रहएबाली लड़की नेपालक सभ ठामक छल । किछु मैथिल, किछु वीरगंज दिसक, किछु पहाडक तऽ किछु हुम्ला जुम्ला दिसक लोक सेहो छल । एहि लड़कीमे पिरश्याम रंगक, मोनताक चादरि ओढने ओकर व्यक्तित्व अलग छल । पातर छितर योवन शरीर । बड़का–बड़का आँखि एक्के बेरमे सभकेँ अपना दिस आकर्षित कऽ लैत छल । ओकर भोला चेहरामे तऽ गजबक हाव भाव अबैत जाइत छल । आँखिमे डेराएल जकाँ देखाइत छल । कोनो बनाबटी श्रृंगार नहि । ओ पाउडर, काजर, टिकली धरि नहि लगबैत छल ।
समान्यतया एतयकेँ लड़की आत्मनिर्भर भेलाक कारण अपन रुप सज्जा पर विशेष ध्यान दैत छल । काटल केश, मिलल भोँ, लिपल पोतल चेहरा, फेशनेबुल कपड़ा । कमाउ सभ छल एहिद्वारे बनिठनि कऽ रहैत छल । एहनमे भोजपुरी भाषी ओ लडकीकेँ सादगी उभरि कऽ देखाई देबए लगैत छल । हलका रंग बला सलबार कुर्ती पहिरने नहि आइरन, नहि किछु ।
रातिमे टिभी देखैत लड़कीक अवाज, हल्ला वा हँस्सीसँ सभागृह गुञ्जित होइत रहैत छल । मुदा ओ लड़की कोनो कोणमे ठेहुनमे दाढ़ी टेकने आ दूनु हाथ सँ पायरकँे घेरने नहि जानि कतए देखैत रहैत छल । टिभी दिस प्रायः ओकर ध्याने नहि रहैत छल । अपने संसारमे ध्यान मग्न अपने विचारमे हेराएल रहैत छल । ओकर आँखिमे देखएबला उदासी मैडमकेँ बेर–बेर चिन्तित करैत रहैत छल । ओकरा कोन बिपति पड़ल छैक मैडमकँे ई बात डन्स मारैत रहैत छल ।
बेरियामे सदन खाली रहैत छल । एक दिन बेरियामे मैडमकँे कानमे गीतक एकटा सुन्दर स्वर पड़ल । ओ स्वंयकँे नहि रोकि सकलथि । शीघ्रता सँ ओ स्वरकँे पाछाँ ओहि रुम तक गेलीह जतए भोजपुरी भाषी गीत गाबि रहल छल । देबालमे अडेस लगौने गीतमे निमग्न बन्द आँखि सँ नोरक बर्षात भऽ रहल छल । दर्दमे डुबल स्वर गुन्जि रहल छल ।
रुमक बाहरसँ मैडम किछु देर गीत सुनैत रहलीह । ओकर भाव समाधि भंग करब ठीक नहि बुझि मैडम ओतएसँ घुरि एलीह । बेर–बेर ओ ईहे प्रश्नकेँ उत्तर खोजि रहल छलीह आखिर ओकरा कोन दुःख अछि । किए ओ एतेक उदास रहैत अछि ?
दोसर दिन मैडम ओ रुमसँ झगड़ाक आवाज सुनलन्हि । रुमक अन्य लड़कीसँ ओकरा उकटा पैची भऽ गेल छल । तएँ हेतु ई लड़की चिचिया–चिचिया कऽ गाढि़ पढि़ रहल छल । ओकरा कोनो होस नहि छल, किछु बाजि रहल छल ।
मैडम शीघ्र ओतए पहुँचलीह आ ओकरा देखिते बुझि गेली जे ओकर मानसिक अवस्था ठीक नहि अछि । ओकर अपन नहि कपड़ाक होस छल आ नहि बुझि पाबि रहल छल जे ओ की बाजि रहल अछि । चढ़ल आँखि ओकर अस्वस्थताक बखान कऽ रहल छल । ओ भोजपुरी, मैथिली आ नेपाली भाषाक मिश्रणमे किछु बरबरा रहल छल । मैडम ओकरा निन्दक गोली आ दुध दऽ कऽ जबरदस्ती सुता देलीह ।
ओकर नाम चमेली छल । मैडमकेँ आब ओकर चिन्ता होबए लागल । एखन धरि चमेलीकेँ प्रति हुनकर उत्सुकता छल मुदा परेशानीमे बदलि गेल छल । आब ओ सोचए लगलीह जे कोनो प्रकारे चमेलीकेँ बातचितक लेल तैयार कएल जाए । ओकर मोनमे विश्वास बढाओल जाए । मैडम सोचैत छलीह जे ओ खुलि कऽ अपन बात कहि मोनक बोझ हलका करत । मुदा एहिमे कोनो शक नहि छल की ई लड़की बहुत बड़का दुर्घटना मोनमे दवौने अछि वा कोनो एहन कारण अछि जाहि सँ ओ कुण्ठाग्रस्त अछि ।
चमेलीक विषयमे मैडम एक प्रकारसँ अनुसन्धान शुरु कएलन्हि । होस्टलक आफिसक रजिष्टरपर ओकर पूरा नाम पत्ता नहि छल ।
चमेली कमप्युटर टाइपिङ्ग कऽ किछु पैसा कमइत छल । समान्यतया होस्टलक लड़कीकेँ ओकरासँ सिकाइत रहैत छल । ओ बेसी समय चुप रहैत छल ककरो सँ ओकरा कोनो सरोकार नहि रहैत छल । मुदा कहियो–कहियो छोटको बात पर लडि़ जाइत छल । गाढि़ पढैत कोनो दिन स्वयं चिरचिरा कऽ बरबराए लगैत छल । दोसर लड़कीसँ दूर नहि झगड़ा लगाबएबला बात वा नहि हँस्सी मजाक सभसँ दूर रहैत छल । ओकरा कोनो ने कोनो समस्या अवश्य अछि ।
मैडम ओकरासँ बात करवाक कोशिसक बहानासँ एक दू बेर अपना रुममे बजौलन्हि । मुदा चमेली कोनो संतोषजनक उत्तर नहि देलक ओ मात्र हँ वा नहिमे जबाब दऽ रहल छल ।
किछु दिनक बाद चमेलीक रुमक एकटा लड़की आबि कऽ बाजल, ‘चमेलीकँे बहुत बोखार अछि ।’
मैडम तुरन्त ओकर रुममे गेली । बोखारसँ जड़ैत चमेली ओछाएन पर पड़ल छल । मैडम ओकर माथ पर हात रखलन्हि । माथ पूरे जडि़ रहल छल । ओकरा तुरन्त दबाइ पिऔलन्हि । बोखार कम करबाक लेल मैडम ओकर माथ लग बैसि कऽ ठण्ढा पट्टी देबए लगलीह । बोखारसँ चमेलीकँे बेहोसी जेहन अवस्था छल । ओ बरबरा रहल छल, ‘मम्मीकँे घर जाएब’ घर जाएब, अपन घर जाएब… ।’
ओकर बात सुनि कऽ मैडमकँे हृदय कानि उठल । बेचारी असगरे अछि । एकरा घरो अछि की नहि, घर जाए चाहैत अछि, माए बाबूकँे स्मरण कऽ रहल अछि । बेहोसीक अवस्थामे हृदयकेँ बात मुहँसँ निकलि रहल छल । एकर घर तऽ अछिए नहि, की एहिसँ पहिने माता पिता छल वा ई एकर सपना अछि ? मैडम किछु बुझि नहि पाबि रहल छलीह ।
भोरमे बोखार कम छल मुदा चमेली बहुत कमजोर भऽ गेल छल । मँुह सुखा सन गेल छल । आँखि धसि गेल छल । बाथरुम धरि जेबाक शक्ति ओकरामे नहि छल । मैडम ओकर शारिरीक आ मानसिक अवस्था देखि सही इलाज कराएब अपन दायित्व बुझलन्हि । हुनका साह डाक्टर दम्पती स्मरण अएलन्हि ।
नोकरीसँ अवकाश पौलाक बाद ई दम्पती अपन नर्सिङ्ग होम खोलि लेने छलीह । डाक्टर पति पत्नी दूनु मैडमकँे मित्र छल । ओ सभ मैडमकेँ बहुत सम्मान करैत छल । चमेलीक उपचार डाक्टर सोनिया साह बढियाँ जँका कऽ सकतीह एकर पूर्ण विश्वास मैडमकेँ छल । मैडम डाक्टर सोनियाकें चमेलीक विषयमे टेलिफोन पर कहलन्हि आ चमेलीकेँ लऽ कऽ नर्सिङ्ग होम पहुँचलीह ।
चमेली कमजोरी आ बोखारक थकानक कारण बेहोसमे छल । डाक्टर ओकरा ठीकसँ जाँच कएलन्हि । नर्सक सहयोगसँ ओकरा कपड़ा बदलाओल गेल । दबाइ आ ईन्जेक्शन देलाक बाद आश्वस्त भऽ डाक्टर सोनिया मैडम लग आबि बजलीह, ‘घबराएकेँ कोनो आवश्यकता नहि अछि, कमजोरी बहुत अछि दू तीन दिनमे ठीक भऽ जाएत, हम ओकरा एडमीट कऽ लेलहुँ अछि ।’ कनि रुकि कऽ डाक्टर सोनिया फेर बजलीह, ‘ओकरा गर्भपात कएल गेल अछि । एखनधरि ओ किछु कहएकेँ अवस्थामे नहि अछि । अपने जे कहलहुँ अछि ओकरा देखिते मानसिक शान्तिक लेल आवश्यक दबाइ शुरु कऽ देने छी । स्वस्थ्य भेलाक बादे ओकरासँ बात करब बढि़या हएत ।’ मैडमकेँ कनी सोचमे पडैÞत सन देखलाक बाद ओ कहलीह, ‘अपने मैडम चिन्ता नहि करु हम टेलिफोनपर खबरि दैत रहब, अपने तीन दिनक बाद आउ आशा अछि ओ स्वस्थ्य भऽ जाएत । हमसभ एकरा बढि़या जकाँ ध्यान देब ।’
चमेलीकेँ अस्पतालमे छोडि़कऽ मैडम होस्टल चलि एलीह ।
लड़कीसभकेँ कहलन्हि जे चमेलीकेँ बोखार अछि । अतः अस्पतालमे भर्ती करा देल गेल अछि, चिन्ताक कोनो बात नहि, तीन चारि दिनक बाद ओकरा आनि लेब । एतेक कहि कऽ मैडम अपना रुममे चलि गेलीह । मुदा मैडमकेँ मोनमे उथलपुथल मचले रहल । चमेलीकेँ लऽ कऽ अनेक विचार मस्तिष्कमे घूमि रहल छल । हुनका स्वयंपर विश्वास छल । अनुभवी नजरि सँ ओ व्यक्तिकेँ परख सही छल वा कम उमेरबला चमेलीकेँ बुझएमे तऽ नहि गल्ती भऽ गेल छलन्हि ?
चमेली खराब बदचलन, झुठ अछि ई मानएकेँ लेल हुनकर मोन तैयार नहि छल । अनेक सम्भावना छल की शायद किओ एकरा असगरे रहलाक कारण फाइदा उठा लेने हो वा काज देवाक लालच दऽ कऽ एकर इज्जत लुटि लेने हुए ।
मैडम सोचि रहल छली, ‘चमेली बदचलन तऽ नहि अछि कारण ओकरा लग पैसा आ नहि कपड़ा, गहना । एक दू टा सलवार कुर्ती अछि ओकरा भेटवाक लेल किओ अएबो नहि करैत अछि । नहि कोनो चिठ्ठी नहि कोनो फोन ।’ तीन दिनक बाद चमेलीक विचारमे ओझराएल मैडम दैनिक काम काज समाप्त कऽ अस्पताल पहुँचलीह । बेरीयाधरि डाक्टर सोनिया व्यस्ततासँ मुक्त भऽ जाइत छथि । मैडम चमेलीक रुममे पहुँचलीह आ ओ ओछाएनपर सुतल छल । ओकर मँुह पर आभा चलि आएल छल ।
शान्त, असहाय चमेलीकेँ देखि कऽ मैडमकेँ हृदयमे ममत्व चलि आएल छल । ओ चमेलीकेँ माथपर स्नेहसँ हाथ रखलन्हि, तखने चमेली आँखि खोललक । मैडमकेँ दूनु हाथ कसि कऽ पकडि़ बाजल,‘ मैडम हमरा गलत नहि बुझु । हम खराब नहि छी । हमरापर विश्वास करु हम कोनो गलत काज नहि कएने छी…रितेश चाहैत छला वच्चाकेँ पालन पोषण बढिया जकाँ होइक । हमरासभ जकाँ तकलिफ ओकरा नहि होइक । आर्थिक अस्थिरता आ माए बापक पूरा प्रेम वात्सल्य भेटैक सही माहौलमे वच्चाकेँ बढिया जकाँ देखभाल होएबाक चाही ……….’ बहुत मुश्किलसँ एतेक कहि स्वयंकेँ सम्हारएमे असमर्थ चमेली हिचुकि–हिचुकि कऽ कानए लगल ।
मैडम ओकर पीठ थप थपौल्न्हि तऽ स्नेहबला स्पर्श पाबि कऽ चमेली किछु शान्त भेल ।
ओ बहुत किछु बाजए चाहैत छल । डाक्टर ओकरा किछु देर शान्त भऽ बैसबाक लेल कहलक । ओकरा चाह पिबाक लेल देलक एकरबाद चमेली दिस तकैत कहलन्हि, ‘देखू एहि बातकेँ बढिया जकाँ बुझि लिअ हम सभ अहाँकेँ शुभ चिन्तक छी । बीना किछु नुकौने सभ किछु कहि देब यथासम्भव हमसभ अहाँकेँ सहयोग करब ।’
डाक्टरक ई शब्द चमेलीकेँ किछु कहएकेँ हौसला बढौलक । ओ बाजल, ‘मैडम हमही अहाँकेँ सभ बात कहएबला छलहुँ । अहाँ आ डाक्टर दीदी केँ छी हमरा बुझएमे नहि आबि रहल अछि, अहाँसभ हमरा बचेलहुँ अछि । मैडम अहाँ हमरा होस्टलसँ नहि निकालब हम प्रार्थना करैत छी, हम ओहिठाम बढि़या जकाँ रहब । ककरो तकलिफ नहि देब ।’
चमेली जे अपना विषयमे कहलक से सुनि मैडम आश्चर्य चकित छलीह । एहनो लोक होइत अछि । एतेक निष्ठुर, पथ्थरकेँ हृदयबला ।
बराबर देखएमे अबैत अछि जे कुकुर बिलाइरक बच्चा घरक सदस्य बनि जाइत अछि । पालतु जानवरसँ सेहो हमसभ जुडि़ जाइत छी । अगल बगलकेँ वच्चा सेहो नीक लागए लगैत अछि । एका एक पालतु कुकुर विलाइरकेँ छोडि़ देबएकेँ कल्पना असम्भव लगैत अछि । फेर एतए तऽ घरमे पलल एक दशककेँ नित्य संग होइतो एहि लड़कीकेँ छोडि़ देव सोचि कऽ मैडम सिहरि उठली ।
ओ केहन माँ अछि वा माँ संज्ञा सेहे ओकरा लेल अनुचित अछि । की महिलाकेँ एतेक स्वार्थीरुप सेहो भऽ सकैत अछि ? जाहि वच्चाकेँ गोदे किए नहि लेने हुए मुदा अपन पुत्री तऽ मानने छल अपन नाम तऽ देने छल, पाइल पोसि कऽ पढ़ौने छल । ओहि बेटीकेँ बस स्टेण्डपर निर्ममतासँ छोडि देलक मैडम किछु देर सोचिते रहलीह ।
चमेली वीरगंजकेँ सम्पन्न परिवारमे पलल बढल छल । जतए ओ सामान्य आ सुरक्षित सहज वाल्यावस्था व्यतित कएने छल । भड़ल पुड़ल परिवारक कोशिल्याकेँ वच्चा नहि होइत छल । वच्चा होबएकेँ कोनो सम्भावना नहि देखलाक बाद कोशिल्या अनाथ आश्रम सँ दू वर्षक वच्चाकेँ गोद लेने छलीह । ओ बच्चाक नाम चमेली राखल गेल । अपन पितियौत भाइ वहिनक संग चमेली बड़का भेल । प्रेम, संरक्षण आ संस्कार ओ पाबि रहल छल । परिवारकेँ अन्य बच्चाक समान एकरा लेल सेहो हरेक प्रकारक प्रवन्ध छल । ओ बुझैत छल जे ओकरा गोद लेल गेल अछि । मुदा एहि बातकेँ नहि कहियो नुकाएल गेल आ नहि कहियो उच्चारण कएल गेल ।
एकटा लम्बा समय बीत गेल । चमेली एक–एक सिढी चढैत योवनकेँ क्रममे पहुँच रहल छल । वुद्धिमान चमेली ८मे पढ़ैत छल । आश्चर्यजनक रुपमे कोशिल्या ढलैत उमेरमे गर्भवती भऽ गेलीह, हुनका मातृत्वकेँ आहट भेल । घरमे सभ खुशी छल । चमेली सहित सभ आँखि विछौने छल । चमेली आ ओकर पापाकेँ खुशीकेँ ठेकान नहि छल । समयपर कोशिल्या पुत्रकेँ जन्म देलीह । शायद एतहिसँ चमेलीकेँ खराब दिन शुरु भेल । अपन कोखसँ जन्मल पुत्रकेँ पाबि कोशिल्या धन्य छलीह । ओ जोड़ल सम्बन्धकेँ तोडएकेँ निर्णय कएलीह ।
एक दिन चमेलीकेँ पापा कहलन्हि जे चमेलीकेँ मुन्सीजीकेँ संग गाम जेबाक अछि मुदा चमेली बुझि नहि पाबि रहल छल की पढ़ाइक समयमे किए ओकरा पठाओल जा रहल अछि । मुन्सीजी तऽ हरेक समय कामकाजसँ घुमैत रहैत छलाह । गर्मी वा दुर्गा पूजाक छुट्टीमे बच्चाक मामा वा मौसी लग पहुँचबैत छलाह । मुदा असगरे मुन्सीजीकेँ संग जाएब चमेलीकेँ किछु जमि नहि रहल छल । ओकरा अस्वीकार कएलाक बाद मम्मी बहुत सम्झौने छल की दू तीन दिनक बात अछि गाम जाएब जरुरी अछि । छोटका बैगमे दू चारिटा कपड़ा राखि कऽ चमेलीकँे बिदा कऽ देल गेल ।
घरक सभ बच्चा मुन्सीजीकँे कोरामे पलल बढल छल । एहिद्वारे लजाएल बीना चमेली हुनकासंग बिदा भऽ गेल । ई यात्रा चमेलीक जीवनकेँ धार बदलि देत ओकरा की पत्ता छल !
मध्य रात्रिमे चमेली सुतल छल । तखने मुन्सीजी ओकरा जगौलक । कोनो बस स्टैण्ड चलि आएल छल । जतए–ततए लोक सुतल छल । बस स्टैण्डक एकटा कोण पर खाली बेन्च पर मुन्सीजी सुतए लेल कहलन्हि आ ओकर माथ लग बसि रहला । दू घण्टाक बाद बस आएत से बीना कोनो आशंकाकँे चमेली सुति रहल । तखने मुन्सीजी चुपचाप ओतएसँ निकलि गेलथि ।
बहुत समय बीत गेल । माथ लग ठकठककँे आबाज सुनि कऽ चमेली जल्दीसँ उठल, रौद आबि गेल छल । किछु देरक लेल चमेलीकँे किछु बुझएमे नहि आबि रहल छल की ओ कतए अछि । पुलिस किछु कहि रहल छल, लोक जम्मा भऽ रहल छल । पुलिस किछु गरैज रहल छल । चिचया कऽ किछु पुछि रहल छल । मुदा ओकर भाषा चमेलीकेँ बुझएमे नहि आबि रहल छल । मुन्सीजीकेँ कोनो अता पता नहि छल । चमेलीक लग नहि पैसा छल आ नहि किछु । ओहि ठाम रहल पुलिस मुन्सीजीकेँ किछु देर खोजलक आ जखन नहि भेटल तऽ चमेलीकेँ अनाथ आश्रममे पठा देलक ।
अनाथ आश्रममे चमेलीक हालत बहुत खराब छल । ओतएकँे भाषा, वातावरण, भोजनसभमे बहुत अन्तर छल । ओ बुझि रहल छल की कोनो दुर्घटनाक कारण मुन्सीजी ओकरासँ अलग भऽ गेल अछि । पापा ओकरा लेबाक लेल तुरन्त एता । घर पर सभ परेशान हएत । कानि –कानि कऽ बिताएल दिन निराशाक अन्हारकँे आओर घनघोर कऽ रहल छल । एतएकेँ काज करएबाली, रहएबला सभ मूर्ख आ गन्दामे रहएकेँ आदी छल । खुब गारि बाजि रहल छल । लड़कीसभकँे पिटब समान्य बात छल ।
चमेली भयभित छल ककरो ओकरासँ सहानुभूति नहि छल ।
व्यवस्थापिकासँ चमेली किछु पुछैत छल तऽ कोनो ध्यान नहि दैत छली, उल्टे चमेलिएकेँ डाटि दैत छली । ओसभ कहैत छलीह, ‘कथिलए कनैत छँए जीवनभरि कनिते रहबएँ, तोरासँ भेटए किओ नहि एतहुँ तोरा अपना लग राखएकेँ रहितहि तऽ छोडितहुँ किए ?’
चमेलीकँे एक–एक क्षण ओतय रहब मुश्किल भऽ रहल छल । मुदा समय ककरो लेल रुकैत नहि अछि । एक–एक दिन बीत रहल छल चमेली हतास, निराश आ उदास छल । अनाथ आश्रमक भोजन ओकर गलामे नहि ससरि रहल छल । घर पर ओकरा अचार चटनी तरकारी माछ माउस आ स्वादिष्ट भोजनसँ भड़ल थारी भेटैत छल । रसगुल्ला बीना ओकर भोजने पूरा नहि होइत छल । आश्रममे मोट–मोट काच पाकल दूटा रोटी, बीना स्वादक दालि वा तरकारी आ हप्तामे दू दिन एक बाटी भात भेटैत छल ।
ओतय रहएबला लड़कीसभ ओकरा बहुत समझाबैत छल । अपन भात चुपचाप चमेलीकँे देबएकँे कोशिस करैत छल । ओहे लड़कीसभसँ ओकरा किछु सहानुभूति भेटैत छल ।
आश्रमकँे नियम अनुसार चमेलीकेँ विद्यालयमे नामांकन कराओल गेल । नेपाली माध्यमसँ ओकरा किछु बुझएमे नहि आबि रहल छल ।
कोनो तरहे एसएलसी पास कराओल गेल ।
आब चमेली परिस्थितिसँ सम्झौता करए चाहलक । मुदा अनाथ आश्रमक नियम अनुसार १८ वर्षकेँ उमेर पूरा होइते अनाथ आश्रममे रहएकेँ अनुमति नहि अछि ।
एहि क्रममे ओ अपन पापाकेँ कतेको पत्र पठौलक । मुदा कोनो उत्तर नहि एलाक बाद अन्तिम प्रयासक रुपमे अपन मौसीकँे एकटा पत्र लिखलक । मौसीसँ चमेलीकँे बहुत स्नेह छल । मौसी एहि शहरक अनाथ आश्रमसँ सम्पर्क कएलन्हि आ कहुनाकऽ होस्टलमे राखएकँे प्रयास कऽ देलन्हि । जेठ बहिनद्वारा काएल गेल पापक प्रयाश्चित छोट बहिन यानी मौसी एहि प्रकार कएलक ।
ई होस्टल स्वच्छ आ स्वतन्त्र छल । एहि ठाम रहैत काल चमेली कम्प्युटर टाईप सिखलक आ जल्दीए अपन पायर पर ठाढ़ होबएकेँ कोशिस करए लागल । १२ कक्षाक पढाइ सेहो शुरु कएलक । चमेली कम्प्युटर टाइपिङ्गकेँ लेल जतय जाइत छल ओतय बेरीयाक छुट्टीमे ओ खाली रहैत छल । ओतय छोट बगैचामे चमेली घण्टोधरि रहैत छल । बगैचाक बाहर रिक्सा स्टैण्ड छल । ओ रिक्सा स्टैण्ड लग रितेश दैनिक अबैत छल । स्कुलक बच्चा साँझ चारि बजे जाइत छल । ओ १० बजे बच्चाकेँ स्कुलमे छोडलाक बाद अहिना बगैचामे सुस्ताए अबैत छल । ओ चुपचाप चमेलीकेँ प्रत्येक दिन देखैत रहैत छल ।
रितेश ओकरासँ परिचय बढौलन्हि । रितेशक अपनत्व आ सहानुभूति चमेलीकँे मलहमके काज कएलक । चमेली हुनकासँ घूलि मिल गेल । धीरे–धीरे ओ रितेशकँे अपन वितल घटना सुनौलक । रितेश सान्तवनो देलन्हि, जीवएकेँ इच्छा बढ़ौलन्हि । स्वयं रितेश अपन काकाकँे घरमे रहि रहल छला । ओ चमेलीक पिड़ा बुझैत छला । एक समान दूनु एक दोसरकँे पसिन करए लगला । संसारकँे सताओल चमेली रितेशकँे खोअए नहि चाहैत छल । ओ रितेशकँे विवाहक पवित्र बन्धनमे बान्हएकँे लेल कहलक तखने पेटमे बच्चा भऽ गेल ।
मैडम पुछलन्हि, ‘तोँ वीरगंज जाए चाहैत छएँ ? तोरा हम स्वयं लऽ जएबौक ।’
चमेली तुरन्त बाजल, ‘नहि मैडम, नहि हम जबरजस्ती ककरोसँ किछु नहि चाहैत छी । मुदा मोन करैत अछि एकबेर हुनका सभसंग भेट कऽ पुछी कोन अधिकारसँ ओ हमरा गोद लेलन्हि आ फेर एहि जनसागरमे डुबकी लगाबएकेँ लेल धकेल देलन्हि ? हम जन्मसँ अनाथ छी । ओतहि पल्तिहुँ एहि गन्दा वातावरणकेँ असर नहि पडि़तएँ । किए हमर विश्बासकेँ तोड़ल गेल ।’
‘अनाथ आश्रमक अनुभव की कहुँ, छोट उमेरमे हमरा अचानक संसारक सभसँ खराब तस्बीर देखा देलक । हमर बुद्धिमता ब्यर्थ भऽ गेल । महत्वपूर्ण शिक्षाक वर्ष बरबाद भऽ गेल । यदि पहिलेसँ आश्रममे रहितहुँ तऽ अपन मार्ग दोसर हिसावसँ बढबितहुँ । हमरा कतहँुकेँ नहि छोडलन्हि ओसभ । मौसी आ रितेश हमराजँ सहारा नहि देने रहितथि तऽ वा मरिगेल रहितहुँ वा पागलखानामे अवश्य पहुँच गेल रहितहुँ ।’
मैडम ओकर माथ सहलौलन्हि । डाक्टर सोनिया बातक क्रम मोडलन्हि । ओ कहलन्हि, ‘जे भऽ गेल से भऽ गेल एहि परिस्थितिसँ अहाँकेँ लडबाक अछि । तीन चारि दिन हमरा लग रहूँ । हम अहाँ आ रितेशक विषयमे अवश्य किछु सोचब ।
मैडम खोजिकऽ रितेशकेँ बजौलन्हि । ओ सज्जन मेहनत आ इमान्दार लड़का छल । दिन भरि स्कूलक रिक्सा चलबैत छल आ रातिमे पढ़ैत छल । स्नातकक पढाइके अन्तिम बर्षक छात्र छल । मैडम आ डाक्टर सोनियाक सलाहसँ रितेश चमेलीसँ विवाह कएलन्हि ।
डाक्टर सोनिया चमेलीकँे अपन अस्पतालमे नोकरी देलन्हि । आखिर चमेलीकेँ जीवनक एकटा किनारा भेटिए गेल ।