♦ काशिकान्त झा ‘रसिक’
हम किए नहि कहु अप्पन मिथिलाके महान
किए तँ
जतए जन्म लेलखिन माँ लक्ष्मी सीताक रुपमे,
हम किए नहि कहु अप्पन मिथिलाके महान
किए तँ
जतए एलखिन जमाए बनिकऽ श्रीरामक रुपमे नारायण
नगर–नगरमे प्रसिद्ध अइ हमर जनकपुरधामक गाइरह सम्मानक रुपमे,
हम किए नहि कहु अप्पन मिथिलाके महान
किए तँ
जतने आइ ओय भोजके नाम जखन तक नै भेटैय
जनेउ सुपारी पान बिदाईक रुपमे,
हम कियानै कहु अप्पन मिथिलाके महान
कियाकि
जतए कानकानमे बैसल आइ प्रेमदैया औरदरेगके
ह आइ हमरा अभिमान अपन पहिचान पर
कियाकि हम ओइ माइटक सन्तान छी
जतए अखनो फूलफुलै आइछ कुस्मा और सल्हेशके,
हम किए नहि कहु अप्पन मिथिलाके महान
किए तँ