♦ प्रा.डा. सुरेन्द्र लाभ
सिलिकन वैली अर्थात् अमेरिकाक प्रसिद्ध शहर सन होजे आ’ ओकर आसपासक क्षेत्र । किछु मास एहिठाम रहबाक अवसर जुटल । अद्भुत शांति देखबामे अबै छै एत्त’ । सड़कसब सुंदर छैक, मुदा सुनसान । प्रारम्भमे बुझबामे नहि आएल जे लोकसब गेलै कत्त’ ? भोरमे देख़ैत छी त’ लोकविहीन छै सड़क।दुपहरियामे सेहो ओहिना।साँझमे सेहो एक्कोरत्ति चहल पहल नै छै बाटपर।राति सहजहि वीरान।किछु दिनक बाद पता लागल जे लोक या त’ अपन घरमे बंद रहैत अछि या अपन कार्यालयमे अथवा मॉलमे अथवा रेस्टोरेंटमे अथवा सड़कपर दौड़ैत गाड़ीमे ।सड़कपर अनगिनती गाड़ी दौड़ि रहल छै, मुदा आश्चर्यजनक रूपसँ एक्कोरत्ति पों पाँ पीं नहि क’ रहल छै।सब चुपचाप अपना गतिमे आगू भागि रहल छै।
एतुक्का आवासिय क्षेत्र त’ आओर बेसी सुंदर लागल।छोट छोट घर।चारुदिस हरियाली।बेस चौरा सड़क संजाल।अति स्वच्छ वातावरण।खुजल खुजलसन पूरा परिवेश।कोनो घरसँ कोनहु प्रकारक आवाज़ नै बाहर आबि रहल छल।कहिने ईसब टी वी देखै छै कि नहि १ एतुक्का बच्चा कनै छै कि नहि१ बुढ़ पुरान खोखी खखार करै छै कि नै१ बिवाहदान आ पूजापाठमे लाउडस्पीकर अथवा डीजे बजबै छै कि नै १ एतेक शांत किएक आ कोना छैक लोक रु गाई महिष सेहो नहि कतहु देखबामे अबै छै।हँ कहियो काल केयो गोटे अपन कुकरके टहलबैत जरुर नजरि अबै छै जे अति विनम्र भावें हेलो कहैत आगू बैढ़ जाई छै।गप्प करबाक सेहंता त’ लागले रहि गेल।
कुल मिलाक’ वातावरण एहन जे प्रत्येक दिन भोर आ साँझमे पएर टहलबाक हेतु अपनेआप घरसँ बाहर निकलि जाइत छल।बाहरजा’ भैर पोख आक्सीजन छातिमे भैर लैत छलहुँ।एतेक पियोर आक्सीजन अपना ओत्त’ भेटत नहि।मोन होईत छल कत्तहु ध्यानमे बैस जाई१ मुदा गल्ली,मोहल्लासब एतेक ने सुनसान रहैक जे कहियोकाल टहलैत टहलैत डरे देहमे झुरझरी भैर जाए ।एतेक सुनसानमे अपनासब ओहिठाम कतेको घटना जे घटि जाईत अछि।अपना सब दिस त’ एसगरोमे भय आ’ भीड़ोमे भय।
आब अबै छी मूल बात दिस।वस्तुतः सन होजे शहरकें सिलिकन वैलीक राजधानी कहल जाइत छै।इहो लगले कहि दी जे एहि नगरक नाम अंग्रेजीमे लिखाई छै ( सन जोसे ९कबल वयकभ० ,मुदा उच्चारण होई छै ‘सन होजे’। लगभग पचपन वर्ष पूर्व एहि क्षेत्रकेँ सिलिकन वैली नाम देल गेलैक।एहि क्षेत्रमे ट्रानजिस्टरमे प्रयोग होबए बला सिलिकनकेँ चिप्स उत्पादन होबए लगलै आ’ एकटा लेखक अपन लेखमे एहि क्षेत्रकेँ सिलिकन वैली नाम देलकै तखन इएह नाम संसारभरि प्रख्यात भेलै।एकरे तर्ज पर भारतमे बैंगलुरुकेँ सेहो सिलिकन वैली लोक कहए लगलै ।आइ अमेरिकाक एहि वैलीमे शतकसँ बेसी विश्वविख्यात आइटी कंपनिसभक मुख्यालय छै।गूगल,फेसबुक,एप्पल, माइक्रोसफ़्ट, एमाजोन, नेटफ़्लिक्स आदि आदि।सभक नाम लेब हमरा हेतु दुरुहे नहि असम्भव थीक।एहि कम्पनीसबमे संसार भरिक युवा आकर्षित भ’ रहल छैक ।हमर सरोकारक विषय आन देशक युवा नहि, अपितु नेपाल आ’ भारतक युवा छल।आखिर नेपाल भारतक युवा किया दौड़ल दौड़ल एहि सिलिकन वैलीमे अबैत छैक रु मुख्य जिज्ञाशा ईएह छल।
लगभग तीस वर्षक नेपाली युवती अरुणिमा कहै छैथ (
‘ नेपालमे जे चारूदिस छिरीआएल गंदगी आ’ उरियाइत गर्दा हमरा नेपालसँ बिमुख क’ देलक।’
हमरा जनिते सब युवा युवती अमेरिका पाइके लेल मात्र अबै छै।मुदा हम अखनधरि भ्रममे छलहुँ।हमर भ्रमके तोरैत ओ बजलीह(
‘नहि१पहिल नम्बर वातावरण,दोसर नम्बर नेपालक अब्यवस्था आ’ तेसर नम्बर पर नेपालक न्यून सैलरी अबैत छैक।’
नेपाल आ’ भारतक जतेक युवा युवती संग गप्प कएलहुँ ओहिमे सँ एक्कहु गोटे पाईकेँ प्रथम स्थान पर नहि रखलनि।दुनू देशक नीति निर्माताकेँ एहि तथ्य पर खास ध्यान देवाक चाही।ओना डलरक महत्ताकेँ सब स्वीकार कएलनि।भारतक युवक निर्मल कहलनि (
‘ओना हमरा सभक सैलरी पर एत्त’ पचास प्रतिशत धरि टैक्स लगैत अछि, तथापि किछुओ डलर अपना परिवारकेँ पठबै छियई त’ ओत्त’ओ बेसी भ’ जाई छै।’
लगमे बैसल भारतीय युवतीसँ पुछलियै ( ‘भारतमे त’ बहुतरास अवसर छै,तखन अहाँसब एत्त’ किएक रु पैकेज सेहो नीक भेटै छै।सुनै छियै बहुतरास आइ टी प्रोफेसनल भारत लौटि रहल छै।’
ओ कने पैघ जबाब देलीह (‘कहाँ लौटि रहल छैरु जकर पारिवारिक बाध्यता होईत छैक सएह लौटैत छै।भारतमे एखनो बहुत कम अवसर छै।हम स्वयं दू वर्षधरि बिभीन्न कंपनिमे एप्लाइ करैत रहलहुँ, मुदा किछु नहि भेल।पुनः अमेरिकामे मास्टर डिग्रीमे अध्ययन हेतु एप्लाई कएलहुँ ।एत्त’ आबि स्कालरशिपमे डिग्रीयो भ’ गेल आ’ लगले नीक कम्पनीमे नोकरियो भ’ गेल।एहिठाम हम शान्ति अनुभव करै छी, स्वतंत्र अनुभव करै छी आ’ सबसँ महत्वपूर्ण बात एत्त’ सुरक्षित अनुभव करै छी।’
पुनः किछुगोटे नव प्रवर्तनक बात उठौलन्हि , किछुगोटे सिष्टमक बात, त’ किछुगोटे अमेरिकाक क्वालिटी अफ लाईफके बात।एहन एहन बहुतरास विषय उठल।सबमे सभक सहमति छल।ई देखि लागल जेना नेपाल आ’ भारतक युवा सभक समस्या आ’ सोच लगभग बराबर छै।इएह कारणसब छै जे भारत आ’ नेपालक युवा युवती अमेरिका अथवा आन विकसित देश भागि रहल छै।अपन अपन जनसंख्याक अनुपातमे विश्वक प्रत्येक शीर्ष कम्पनीमे दुनू देशक युवाक प्रभावशाली उपस्थिति छैक।
अही संदर्भमे सात वर्ष पहिलका एकटा संस्मरण उल्लेख करैत छी।ओहो अही धरतीक अनुभूति थीक। रातिकेँ एगारह बजे सिलिकन वैलीक समीप सन फ्रानसिस्को शहरक समुद्र कातमे ठाढ़ रही।अवसर रहै नव वर्ष पर होमए बला फ़ायर वर्क्स अर्थात् फट्टक्का महोत्सव।ठीक बारह बजे सम्पूर्ण लाइट अफ भ’ जाइत छै आ’ प्रारम्भ होईत छै अद्भुत फट्टक्का महोत्सव।व्यग्रतापूर्वक ओहि क्षणक प्रतीक्षा छल । भीड़ बढ़ल जा’ रहल छलैक।लोककेँ कोनहु काज रहैक नहि, तँए सबगोटे आपसमे अंग्रेजीमे फुसफुसाक’ गिटिर फिटिर क’ रहल छल।जोरसँ त’ लोक अहिठाम बजिते नहि अछि।तथापि कान लोकक वार्तालाप पर छल।होईत छल कत्तहुसँ कनेक अप्पन मैथिली भाषा कानमे पैर जाए , नहि त’ नेपालीए अथवा हिंदिए।कान तरैस रहल छल आ’ हम असफल भ’ रहल छलहुँ।ठीक बारह पर सुई गेलै आ’ चारुभर अन्हार पसरि गेलै।ओम्हर समुद्रसँ फट्टक्काक ज्वारभाटा आकाश दिस बढ़लैक ।आकाश प्रकाशसँ जगमगा उठलै ।निचाँ अन्हारमे हाथक हाथ नै सुझि रहल छलैक।तावते ककरो केयो सम्बोधन कएलकै (
‘रे रमेश किधर हो साले ?’ ओम्हरसँ उत्तर अएलै (
‘इधर हैं साले, तू किधर है ?’
वार्तालापमे गारि छलैक, तथापि नीक लागल।फेर एम्हर ओम्हरसँ फुसफुसाहटमे अपनत्वक भाषासब कानमे परए लागल।इजोतमे सब अंग्रेजीमे गिटपिटिया रहल छल, मुदा अन्हार होईते सब अपन अपन भाषामे उतरि आएल छल।जे होउक हमर मोन गदगद भ’ गेल आ’ ठोरपर मुस्की छिरिया गेल छल।
ईसब अपना ओम्हरका लोक बहुत बेसी संख्यामे एत्त’ रहैत छैक, तकर प्रमाण सेहो छैक।ई नीक बात भेलै अथवा बेजाय से कहब कठिन छै।युवासभक दृष्टिकोणसँ देखबै त’ ठीके बुझाएत।गाम पर रहल माय बापक दृष्टिकोणसँ स्थितिक मूल्यांकन करबै त’ बहुत बेजाए बुझाएत।देशक संदर्भमे देखबै त’ मिश्रित परिणाम निकलिक’ सामने आबि सकैत अछि।
अपना सब ओत्त’ बहुत दिनसँ ‘ब्रेन ड्रेन’ केँ एकटा गम्भीर समस्याक रुपमे लेल जाइत छैक।तँए नीति निर्माताक ध्यान आब ‘ब्रेन गेन’ दिस जा’ रहल छै।मुदा दुनू देशमे ब्रेन गेनक नीति असफल भ’ रहल छैक।कारण एक दिस देशक क्षमता सीमित छै त’ दोसर दिस नीति व्यवहारिक नै बनि रहल छै।ओना सरकारक बात आ’ दावा भिन्न भ’ सकैए।बहुत गोटे हेतु ई वाद विवादक विषय भ’ सकैए।
वस्तुतः ई धरती युवासब हेतु छै । ओसब सप्ताहमे पाँच दिन खूब मोनसँ काज करै छथि आ’ दू दिन नीकसँ आनन्द उठबै छथि ।हुनकासब हेतु एहि धरा पर सुख छै, शान्ति छै,सुबिधा छै, सुरक्षा छै आ’ समृद्धि छै।मुदा हमरा एहन अवकाश प्राप्त व्यक्ति हेतु ई धरती आठ दस दिनक लेल दर्शनीय स्थल मात्र छै । तकरबाद मोन अकछए लगैत छै।हमरो संगे सएह भेल।बहुत मुसकिलसँ तीन मास कटलहुँ आ’ पुनः घुरि गेलहुँ अपन देश दिस । घुरि गेलहुँ अपन नगर दिस।ओएह देश ओएह नगर जत्त’ भीड़ छै, हल्ला छै, अशांति छै, अव्यवस्था छै, गंदगी छै, न्यून आय छै, असुरक्षा छै।मुदा अपनत्व छै,परिचय छै, आपसमे गपसप छै, सुख दुःख में परोसियाक साथ छै। तँए ने कहै छै – जननी जन्मभूमिश्चय स्वर्गात अपि गरियसी