♦ चन्द्रकिशोर
१. रिवाज
ई छै अप्पन प्रोफाइल पिक्चर बदलने जनकपुरधाम । एहिठाम आब प्रश्न नहि कएल जाइ छै । एखनुका जनकक भारदार लोकनिकेँ प्रशस्ति सुनव पसिन छैन्ह ।
बुझु आसन पर विराजमान कोनो मूर्ति । जिनका चहियैन सांझ – भिनसार भोग, आरती । ढोल, मृदंग आ झाएल संग चावर डोलावय जाय ।
हो एखनो चावर डोलावयवाला भेटि जाई छै – रामखेलावन पूछलकै । रामानन्द चौकक चाय दोकान पर बटेसर कहलकै – अहाँ कोन दुनिया मे छी । जनकपुरधामक के मारलक ? जखन अष्टावक्रक वंशज लोग अपन जेबमे अर्जि लऽकऽ चलतै तखन एहने सन रिवाज पैदा होतै ।
२. प्रश्न
जनकपुरधामसँ प्रश्न सभ निपत्ता भगेल । कि कतौ भसिया गेलै । कि जनकपुरधामक मोनक मौनीसँ प्रश्न सभ निघटि गेल । कि जनकपुरधामक आकाशमे टहटह इजोरिया छै ।
–अहाँ नै बुझैछि यो तपेसर जी । भभिखन बाजि उठल – ई एसएमएस क समय छै । एखनुका जनकपुरधाममे जे पिरियड चलि रहल छै ताहिठाम प्रश्न पूछब, जिज्ञासा राखब मॉडर्न नजÞर नहि अबैया । जे लोक प्रश्न रखैत छला ओसभ महाप्रस्थान कगेला ।
–तखन !
–आब प्रश्न एहिद्वारे पूछल जाई छै जे दोसराक चूप लगादी । एक गोटे प्रश्न करता तँ झट्ट दऽ हुनका एसएमएस भेटतैन । बस तोहो चूप हमहू चूप ।
नवका जनकपुरधामक नवतुरियासभ अपन–अपन जोगाड़क पानि पूरी मूँहमे धऽ लेने छै ।
हे हे……