♦ प्रा. डा. सुरेन्द्र लाभ
हँ चंगीज खानक देश अर्थात् मङ्गोलिया ।
वएह चंगीज खान जकरा एम्हर चंगेज खान कहल जाइत छैक ।चंगेज खान माने बर्बरता आ’ क्रुरताक प्रतीक ।की रूस, की चीन, की जापान, की ईरान, की हंगेरी, की अफगानिस्तान सबपर अपन साम्राज्य स्थापित करैत ओहि देशक महिलासब केँ अपन वासनाक शिकार बनौनिहार चंगेज खान ।कहल ई जाइत छैक जे अखनो संसारमे कमसँ कम डेढ़ करोड लोककेँ डि. एन.ए.चंगेज खानक डि. एन.ए.सँ मेल खाईत छै।
अपन भाईकेँ हत्या करएवाला चंगेज खान संसारक लगभग चारि करोड व्यक्तिकेँ निर्ममतापूर्वक हत्या क’ देने रहैक। एहन क्रूर कथा सभक लम्बा फेहरिस्त बताओल जाई छै एम्हर।तँए नेपाल,भारत आदि देशमे ओकरा लोक खलनायक मानैत छैक ।मुदा आश्चर्यजनक रूपसँ मङ्गोलियामे ओकरा महानायक मानल जाइत छैक ।
मङ्गोलियाक राजधानी उलन बटोरमे इहएसब स्मरण करैत उतरल छलहुँ।सर्वप्रथम अचम्भित कएलक एयरपोर्टक कर्मचारीसब।सम्पूर्ण कर्मचारी महिला रहैक।कार्यक्रम स्थलपर देखलहुँ– अधिकांश आयोजक व्यवस्थापक महिला रहैक।किछु सरकारी कार्यालयमे जएबाक अवसर भेटल।ओत्तहु महिलेक बाहुल्यता देखलियैक।मङ्गोलिया एहन छोट देशमे महिलाक एतेक बेसी सशक्तिकरण देखि आश्चर्य लागल छल ।
कार्यक्रम संयोजकसँ पुछि देलियैक–
’ अहाँक देशमे महिलाक एतेक बेसी सशक्तिकरण कोना सम्भव भेल ?’
ओ मुस्किआइत जबाब देलीह –
’ से बात नै छै ।गरिबीक कारण हमरा देशक अधिकांश पुरुष रोजी रोटी हेतु अमेरिका चलि जाइत अछि आ’ मजबुरीमे महिलासब देश चलबैत अछि ।’
ई सुनि पैघ झटका लागल छल । एक हजार वर्ष पहिने जाहि देशक सम्राट संसारक बाइस प्रतिशत भू भागसँ सम्पति नोइच खसोटिक’ अनने होइक से आई गरीब ?
अखनो पुरुषसब अमेरिकासँ कमा कमाक’ पठबिते हएतैक– तथापि गरिबी ? फेर मोनमे तर्क जनमल छल – ने दोसर देशकेँ धन लुटलासँ सम्पन्नता अबैत छैक देशमे आ’ ने रेमिटान्ससँ ,जकर जीवित उदाहरण चंगीज खानक देश अछि ।
उलन बटोर देशक राजधानी रहितो कबिलाई समाजक अवशेष यत्र तत्र देखबामे अबैत छैक ।चारुदिस पहाड, मुदा हरियरी कत्तहु नहि नजरि अबैत छैक ।उजार उजारसन् पुरा माहौल लगैत छैक ।राजधानीक ई हाल छै तखन ग्रामीण क्षेत्रक की हाल हएतैक?
जाढ एत’ बहुत होइत छैक । तँए चमराक प्रयोग बहुत बेसी देखलियैक।मूलतः मङ्गोलियाक समाज घुम्मकड़ (ल्यmबमष्अ) छै । पुरान घरसब अखनो गोल गोल आकृतिक आ ’ चमडाक बनल भेटत ।
साँझमे चंगीज खान नामक विशाल होटलमे हमरासबकेँ पार्टी देल गेल ।एहिठाम चंगीज खानक नाम सर्वत्र भेटत–चंगीज खान होटल , चंगीज खान वियर , चंगीज खान स्ट्रिट ,चंगीज खान स्टेडियम आदि ।
चंगीज खान होटलक विशिष्ट कक्षमे हमरासबकेँ बैसाओल गेल छल ।सर्व प्रथम सुन्दर सुन्दर प्लेटमे किछु विशिष्ट प्रकारक व्यंजन ड्रिङ्कके संग परोसल गेल ।विशिष्ट व्यंजनक आकृति किछु बिचित्रसन् लागल ।आयोजकसँ पुछि देलियैक–
’ ई की छैक ?’
’ हमरा ओहिठाम विशिष्ट अतिथिक स्वागत बैलकेँ जीभसँ कएल जाईत छैक – सएह अपनेसभक सम्मानमे प्रस्तुत अछि ।’ कहैत ड्रिङ्क उठबैत आयोजक बजलीह–
’ चियर्स।’
हमहुँसब अपन अपन गिलास उठौलहुँ –
’ चियर्स ।’
मुदा अन्तर्मनमे भारी बिहाडि उठल छल –
’ ई बैलक जीभकेँ ग्रहण करी कि नहीं ? करी त’ कोना करी? नहि करी त’ स्वागत सत्कारक अपमान !’
एक त’ मङ्गोलियामे पएर रखलाक बादे माउँसे माउँसटा खा’ रहल छलहुँ।जलपानमे माउँस ! भोजनमे माउँस !स्टार्टरमे माउँस ! मेन कोर्समे माउँस ! एतेक धरि जे हरियर सलादोमे माउँस ! ईएह भेटै एत्त’ तखन की कएल जाय ?
मुदा वर्तमान पलक संकट बेसी गहिर छल – एहि विशिष्ट व्यंजनकेँ की कएल जाए ? अछताइत पछताइत आयोजकक विशेष स्वागतकेँ कण्ठ तर द’ अपनाकेँ विशिष्ट अतिथि प्रमाणित कईए देलियैक।तकरबाद प्लेटमे की की आएल पता नहि।मुदा सब ग्रहण करैत गेलहुँ।
लगमे बैसल आयोजक महिलासँ पुछलियै–
’ की अँहासब घोडा घोड़ीक माउँस सेहो खाइत छी ?’
ओ मुस्कियाइत जबाब देलीह –
’ हँ खाई छी । मुदा अँहासबकेँ नै खुआएब।कारण ओ अति गर्म होइत छै । अँहासब गर्म देशकेँ वासिन्दा छी । गर्म देशक वासिन्दा खाइते पागल भ’ जाइत छै ।’
मोन परल– अपनोसब ओम्हर केयो बतहपनिक बात करैत छै त’ लोक कहै छै ’ घोडा घोड़ीके माउँस खएने छे की ?’
तिने दिनमे मङ्गोलियासँ मोन अकछि गेल छल । आब अपन लोकसँ भेटबाक मोन करए लागल ।अपन भाषा अपन भेष मोन परए लागल ।शुद्ध भात दालि तरकारी खएबाक हेतु जीह चटपटाए लागल ।अपना दिसक एक्कहुटा चेहरा सेहो नहि कतहु नजरि आबि रहल छल ।ईएह छल हमर ग्रुपक साझा मनोविज्ञान ।
एहने मनोदशालए हमसब मङ्गोलियाक सडकपर ढहना रहल छलहुँ ।अकस्मात् सडक ओहिपार एकटा चाननवला धोती कुर्ता पहिरने मनुक्ख नजरि आएल ।किछु देर भ्रम बुझना गेल ।मङ्गोलिया एहन देशमे धोती कुर्तावला मनुक्ख ? इसब सोचिए रहल छलहुँ कि मित्र हरीजी चिचिया उठलाह – ’ पण्डिजी !ओ पण्डिजी !’
पण्डिजी मुस्किआइत हाथ उठौलनि। हमसब सडकपार करैत हुनकालग पहुँचलहुँ। पण्डिजी सेहो आश्चर्यचकित छलाह जे एहन सुदूर देशमे ’पण्डिजी ’ कहिकए हुनका के बजौलकै ?
हिन्दी,मैथिली आ’ नेपाली भाषा बिच जे आन्तरिक विवाद चलैत रहै छै सेसब मेटा गेल छल ।नेपाल भारत बिचक सीमा सेहो लुप्त भ’ गेल छलैक।भारतकेँ गारि पढि जे नेपालमे राष्ट्रियताक मापदण्ड ठाढ कएल जाइत छैक , सेहो ढनमना गेल छल ।
पण्डिजीसँ हिन्दीमे गप्प सप्प होमए लागल ।पता लागल पण्डिजी बनारसकेँ छलाह ।प्रत्येक वर्ष दू मासक हेतु एतुक्का विश्वविद्यालयमे संस्कृत पढाबए अबैत छथि। अखनो विश्वविद्यालयमे क्लास लेबए जा’ रहल छलाह । तँए हमरासबकेँ अतृप्ते छोडि चल गेलाह ।ओना जाइत जाइत इहो कहि गेलाह जे काल्हि हमरा दिनभरि फुर्सति अछि , आउ आवासपर खूब बात करब ।मुदा क्षमा याचना कएलहुँ ,कारण काल्हि हमरा सबकेँ अपन देश घुरि अएबाक छल ।
तथापि जतबा देर गप्प सप्प भेल ओहिसँ मोन उल्लसित भ’ गेल।मुरझाएल फूलमे जेना पानि पडि गेल होइक ।प्रफुल्लित मोनसँ सबगोटे निर्णय लेलहुँ– ’ अझुका साँझ चंगीज वियरकेँ नाम ।’
साँझ होईतहि हमरालोकनि अपन गन्तव्यदिस विदा भेलहुँ।गन्तव्य अर्थात् चंगीज खान वियर ।ई मङ्गोलियाक अति लोकप्रिय पेय थीक।एकटा विशाल होटलकेँ आगू बहुत पैघ ’चंगीज खान वियर’ लिखल होर्डिङ प्रथमे दिनसँ देखि रहल छलहुँ।मुदा जएबाक संयोग आई भेटल।एकटा चौबटियापर पहुँचि मित्र हरीजी आ’ विनोदजी कहलनि –
’ आहाँसब सीधा होटल पहुँचू हमसब कने घुमने अबैत छी ।’
’ ठीक छै ।’ कहैत हमसब होटलदिस विदा भेलहुँ।ओ दुनु दोसरदिस गेलाह ।
होटलमे दुनुमित्रक प्रतीक्षा करए लगलहुँ।मुदा दुनुगोटे आबि ने रहल छलाह।ओना त’ दुनुगोटे विदेश यात्राक माजल खेलाडी छलाह।तथापि समय जतेक बेसी आगु ससरि रहल छलैक हमसब अनेक प्रकारक आशंकासँ ग्रसित भ’ रहल छलहुँ।एम्हर वेटर आबि अर्डर देबाक हेतु कतेको बेर तगेता क’ चुकल छल । अकछि क’ अंतमे वियर आ स्नेक्सके अर्डर द’ देलियैक।मुदा मित्रसब अखनधरि नहि अएलाह ।तनाव बढिए रहल छल ।चिन्ताकेँ टारबाक उद्देश्यसँ एकटा मित्र वार्ता अग्रसारित कएलनि–
’ अँए यौ अपनासब अखन मङ्गोलियामे छी ।अपना देशमे जाहि फेसकेँ ’ मङ्गोलियन’ फेस कहैत छैक, ओहन त’ एत’ नहि देखबामे आएल?’
दोसर मित्र –
’ ओहि मङ्गोलियन फेसकेँ एहि मङ्गोलियासँ कोनो लेना देना नै छै ।’
तेसर मित्र –
’ छोडु ने गम्भीर गप सप।ईसब इतिहासकारपर छोडि दियौ ।’
चारीम मित्र –
’ हँ भाइ छोडु एम्हर ओम्हरके गप्प । हमरा त’ हरिजी आ’ विनोदजी पर ध्यान लागल अछि ।’
पुनः सभक ध्यान प्रवेशद्वारपर जाइत छैक । पूर्ववत सन्नाटा व्याप्त छलैक।साँझसँ राति भ’ गेलै। दुनु मित्र कहिने कोन संकटमे फसि गेलाह ? ककरोसंग मे फोनो ने रहैक जे बुझितियैक की भेलै? की कएल जाए की नै – किछु बाट नै सुझि रहल छल ।की पुलिसकेँ कहल जाए ? की होटलवला सँ सल्लाह लेल जाए ?
एहि अन्जान देशमे अन्जान भयसँ हमसब भितरे भीतर काँपि रहल छलहुँ। तखने दूटा आकृति होटलमे प्रवेश करैत अछि । दुनु आकृति किछु परिचितसन लागल ।गौरसँ देखलहुँ त’ गुमसुदा मित्र हरीजी आ विनोदजी छलाह । लूटल पिटल ‘गर्दा थालमे लेभरायल ‘ खूनसँ लथपथ.. दुनुक अवस्था बिचित्र छल । जे होइक जीवित आबि त’ गेलाह । आश्वस्थ भेलहुँ हमसब ।दुनुगोटेकेँ गरा बकौर लागल छलनि। की भेलै? कोना भेलै? एहन एहन हजार प्रश्न हमरा सभक ठोर पर ठाढ छल ।मुदा हिनका सभक नाजुक हालत देखि पुछबाक हिम्मत ककरो नहि भ’ रहल छलैक।
दुनुगोटेकेँ कुर्सीपर बैसा सर्वप्रथम पानि पियाओल गेल ।ततपश्च्यात वाशरूममे ल’ जा’ मुँह हाथ धोआएल गेल।भितरे भीतर सभक अन्तर्मनमे सम्बादक अन्हर बिहाडि चलि रहल छलैक।मुदा बाहरसँ सबगोटे संवाद विहिन छल ।
किछु समयक मौनताकेँ ईएह दुनु मित्र तोडलनि आ’ कुहरैत कुहरैत अपन व्यथा सुनौलनि।
व्यथा कथाक सार संक्षेप ई रहै–
ई दुनुगोटे सडकपर घुमि रहल छलाह कि बिना मतलबकेँ दू गोटे ’ फौरेनर फौरेनर ’ कहैत आक्रमण क’ देलकै ।अकस्मात् भेल आक्रमणमे ने इसब सम्हरि सकलाह आ’ ने कारण बुझि सकलाह।हठ्ठा कठ्ठा आक्रामक लात मुक्काक वर्षा तावतधरि करैत रहलै जा’ धरि इसब बेहोस भ’ सडकपर खसि नहि परलाह। हिनका दुनुकेँ बेहोस अवस्थामे छोडि ओ दुनु विजयी मुद्रामे सिगरेट फुकैत अपन राह विदा भेल ।शेष राह चलैत कोनहु व्यक्तिमे हिनका सबकेँ बचएबाक हिम्मत नै रहै।बहुत देरधरि लावारिस लास जकाँ दुनु गोटे बेहोसीमे सडकपर परल रहलाह। जखन झिसिक किछु बुन्न हिनका सभक ठोरपर परलै तखन होस अएलै।
आक्रमणक कथा सुनि हमसब घबरा गेलहुँ।फौरेनर प्रति एतेक घृणा ?आखिर किया ? आगन्तुक कोन दोष ? संसारक प्रत्येक देश पर्यटककेँ स्वागत करैत छैक ।मुदा ई केहन देश छै जतए गुन्डा बदमास सब पर्यटककेँ ’ फौरेनर’ कहि आक्रमण करैत छैक ।आब त’ विदेश जाएमे डर लागत ।
की चंगेज खान जीविते छैक ? चारुदिस चंगेज खान नजरि आबए लागल छल ।बाहर सडकपर चलनिहार सँ ल’ क’ होटल भितरक वेटर , मेनेजर ,ग्राहक सब चंगीज खान जकाँ क्रूर बुझाए लागल ।जल्दीसँ विल चुक्ताकए होटलसँ निकलि गेलहुँ।
कहुना क’ राति कटलै।मुदा पीडा यथावत रहलै।आई देश घुरि जएबाक अछि।मुदा दिन काटब मुश्किल भ’ गेल छल । कतौ निकलनाई त’ दूरके बात , भितरो कोठलीमे डर लगैत छल – कहिने कोम्हरसँ कोन गुन्डा प्रवेश ने क’ जाए ?
आयोजक फोन कएलनि–
’ आई साँझमे अहाँ सभक प्लेन अछि , अबै छी विदा करए ।’
हमसब साफ मना क’ देलियैक।बजवितीयनि कोना ? कारण हमारा सभक नेता हरीजी आ विनोदजी अखनि धरि लगभग बौक छलाह।हुनका सभक पीडा हमरा सबकेँ देखल नहि जा’ रहल छल ।दुनु शेर आई ढेर छलाह।
साँझमे एयरपोर्ट हेतु विदा भेलहुँ। मोन अढाइ मन भारी छल ।एहि धरतीसँ जेना वितृष्णा भ’ गेल हो ।जल्दी सँ जल्दी एहि भूमिसँ बाहर निकलि जाए चाहैत छलहुँ।
मोने मोन चंगीज खानकेँ गारि पढि रहल छलहुँ,जेना सब गल्ती वएह कएने हो । एतबा धरि स्पष्ट छल जे भलेही चंगीज खान जीवित नहि होइक मुदा चंगीज खान बला प्रवृत्ति त’ जीवित छैहे ।
काल्हिसँ कण्ठ सुखागेल छल।आपसो मे नहि बातचित क’ रहल छलहुँ। आब कहियो नै आएब एहि देशमे – मोने मोन सबगोटे ईएह प्रण क’ रहल छलहुँ।गाडी एयरपोर्ट दिस सर्र सर्र बढि रहल छल । अकस्मात हरिजी चिचिया उठलाह –
’ अरे गान्धी बाबा ! गान्धी बाबा !देखियौ ओम्हर गान्धी बाबा ।’
सडक किनारमे गान्धीजीक विशाल प्रतिमा ठाढ रहैक।गाडी रुकबएलहुँ।हमसब उतरलहुँ।गान्धी बाबाकेँ हाथ जोडि प्रणाम कएलहुँ।लागल जेना प्रतिमा नहि स्वयं गान्धीजी ठाढ छैथ।विरक्ति भरल सभक मोनकेँ जेना राहत भेटल होइक ।कहिने एहि शान्ति प्रतिमाक केहन प्रभाव रहैक जे बुझएलैक जेना सभक घावपर मलहम लागि गेल हो । मोनक बेचैनी जेना समाप्त भ’ गेल हो ।क्रूर चंगेज खानक देशमे गान्धीजीक प्रतिमा जेना दुर्वाक्षतक वर्षात क’ देने हो ।हमरा सभक मोनमे जे एत्तुक्का बासिन्दा प्रति कलुषता जनमि गेल छल से क्षणमे विलुप्त भ’ गेल।एकटा पाथरक मूर्तिक शक्तिकेँ जीवन मे पहिल बेर अनुभव क’ रहल छलहुँ आ’ आब शान्त भावसँ एयरपोर्ट दिस बढए लगलहुँ।