मैथिली व्यंग्य कथा – एकसय पचास किलोक माला





ई. विनोद चन्द्र नेपाल खानेपानीक निर्देशकसँ अवकाशग्रहण कएने छथि । कथा कविता निरन्तर लिखैत छथि । व्यंग्य कथा लेखन हिनक पसिनक विधा अछि । हुनके पसिनक विधाकेँ कथाक स्वाद ली…

 ई. विनोद चन्द्र

‘मन्त्री मेबालाल जिन्दावाद !’, एक गोटा नारा लगौलक ।

सभ साथ देलकै, ‘जिन्दावाद– जिन्दावाद !’

जिन्दावाद ,दोहराइत–तेहराइत रहल ।जनकपुर एयरपोर्ट पर ठेलम–ठेल छल ।आइ मन्त्रीजी, मन्त्री पद पएलाक बाद, प्रथम बेर अपन गाम आबि रहल छलखिन । ताहिके लेल जिल्लाक नेता लोकनि, शुभचिन्तक, लगुआ– भगुआ ,कार्यकर्ता,स्थानीय अधिकारी,सुरक्षा निकाय, सभ रंग–बिरंगी फुल माला लेने स्वागतके लेल ठाढ छल । माला सेहो एहन ओहन ,एक पर एक विलक्षण । एकटातऽ एहन दुर्लभ माला, जे कोनो मन्त्रीके लेल अहो भाग्ये बुझु , एकसय पचास किलोक बिशालकाय माला,दस गोटे बोकने ठाढ छल । ओकरा पेश कऽकए मन्त्रीजीक बिशेष कृपापात्र बनबाकलेल आ फेसबुकमे सभके देखा, अपन नाक आओर नमहरभेल देखैबाकलेल, स्वागतार्थ दसटा कार्यकर्ता,सजि धजिकऽ ठाढ छल ।स्वागतके लेल गामसँ, ढोल पिपही आ रसनचौकी सेहो तैयार बैसल छल । दोसर दिस अंगरेजी बाजासे तैयार छल ।स्वागत करऽबलाक गाडीके रखबाक पार्किंगक स्थान कम भऽगेलाक कारण बाटपर सेहो दूरधरि गाडीक लाइन लागल छल ।

हबाइ जहाजके अबिते जिन्दावादक नाराक साथ बाजा–गाजा सभ एकहिबेर गुंजायमान भऽगेल । माला पहिराबऽ आ फोटो खिचाबऽके लेल लोकमे अफरा तफरी मचि गेल । स्वागतकेँ एहन तामझाम,पहिने राजाकेँ डरसँ राजाक शासन कालमे लोक करैत छल, से आई गणतन्त्रमे एना देखाबा करब अस्वाभाबिक बुझाइत अछि मुदा घटल नहि बढिए गेल । कारण स्पष्ट अछि, बिभिन्न लोभ–लाभक लेल, घनेरोँ नव–राजासभके स्वागत करवाकलेल लोक वाध्यभऽ गेल अछि । गरीब देशमे राष्ट्र«पतिसँ लऽकए वार्ड अध्यक्ष धरि रजे–राजा सँ भरल अछि ।ओ पदसभ ग्लेमरस अछि ,फिल्मी हिरो जकाँ, महाशक्तिशाली समाजक स्वामी,कानुनसँ उपर । जीवनशैली,रहन सहन सभ लोभाबऽबला एकटा दोसरे नक्षत्रक अवतार जकाँ । तिलस्मी छै अखुनका समयमे,जे काल्हि धरि खेत जोतैत छल, से आई चुनाव जीतिते नाचऽबला कुर्सीपर राज करैत अछि ।वार्ड अध्यक्ष सेहो एकटा अफिसके नेतृत्व करैत अछि,नीक सुख सुविधा पबैत अछि आ एक वर्षमे पाँच–दस करोडकेँ कारोबार करबाक हैसियत रखैत अछि ।

मन्त्रीजी मालासँ तेनानै झँपाएल छलाह जे हुनक आँखिए मात्र देखाइत छलै ।तुरन्ते एकसय पचास किलोक माला लगाकऽ, मन्त्रीजीके महत्ताक झण्डा सभसँ उँच फहरैबाकलेल कार्यकर्तासभ घेरि लेलक ।बीचमे मन्त्रीजी आ दुनूकात मगन कार्यकर्ता ।फेर फोटो खिचैबाक दौर चलल ।तकरा बाद आगा पुलिसके गाडी बीचमे मन्त्रीजीक गाडी आ तकराबाद स्वागतार्थीक गाडीक बिशाल ताँता, नहुए–नहुए आगा बढए लागल । ओर–अंत पाएब कठिन । जुलुस पँहुचिते मन्त्रीजीक गाम उत्सबमय भऽ गेल ।चाह–नास्ताक छेलाबेला शुरु भऽगेल । लोकक ताँता अबेर राति धरि लागले रहल ।सब समस्याके समाधानके गोटी, हुनक बोलीमे छलनि। अपन क्षेत्रमे गरीबकेँलेल –घर,बेरोजगारकेलेल –नोकरी,गाम–गाममे –रोड आ चमात्कारिक विकासके आश्वासन, जे अबैत छल सभके बँटैत छलखिन । लोक गदगद छल ।

अखाढक मौसम,रातिमे भारी बारिस भेल । पानिसँ गामक गाम डुबि गेल । एहन आपदामे मन्त्रीजी स्थितिके निरिक्षण नहि करथिन त कोना हएतै ?किछु सहभागीसभ सेहो चाही । मन्त्रीजी समानुपातिककेँ सभासद अपन धर्मपत्नी, पि.ए. अपन जमाय आ सुरक्षागार्डमे अपन सारके साथ किछु स्थानीय नेता आ किछु सरकारी अधिकारी लऽकए कोसी कटानके हेलिकोप्टरसँ निरिक्षण करए निकललाह । एकठाम प्रभावितकँे साथ छलफल सेहो छलै ।सभकेँ विचार सुनि, जखन अपन गहन अभिव्यक्ति देनाइ शुरुए कैने छलखिन कि पि.ए. कानमे किछु फुसफुसाबऽ लगलनि आ ओ ओतबेपर भाषणके अन्त कऽ तत्क्षण लौटि जयवाक विचार कएलनि ।घरसँ सभ भीड –भाड एकाएक बेपत्ता भऽगेल ।मन्त्री परिषदमे हेरफेर भऽ गेल छल आ ओहिमे हुनक नाम लिस्टमे नहि छलनि । मन्त्रीजीक मनसुबा तासक महलजकाँ एकाएक ढनमनाकए खसि पडल छलनि ।मन्त्रीजी हेलिकोप्टरके उडानपरसँ एकहिबेर धरतीपर पटका गेल छलाह । मन्त्रीजी देशक राजनीतिमे अपन भुमिकाके गम्भीर समीक्षा करए लगलाह ।

राजतन्त्रमे लोकके मुहपर ताला लागल छल ।विरोध करएबलाके काल कोठरीमे ठुसि देल जाइत छल ।गरीबी ,अशिक्षा, बेरोजगारीसँ देश पीडित छल ।हुकूमी शासनके कारण योग्य व्यक्तिके उपयुक्त स्थान नहि भेटैत छल ।मधेसीके लेल रोजगारी पाएब आकाशक फल तोडब बराबर छल।हुनक अप्पन भाई हिरालालकेँ बि.एस्सी. पास करितो मधेसमे नोकरी नहि भेटलै आ ओ बाजुरा जाऽकए मास्टरी करएके लेल बाध्य भेलाह ।तैँ ओ ,सभके समान अधिकार देआबकलेल अपन भविष्य राजनीतिमे देखलनि।घरक लोक बिरोध करैत रहि गेलनि मुदा ओ अपन शिक्षा–दीक्षा भारतमे कएलनि।ओतऽ ओ ज्ञानक साथ– साथ राजनीति, हाथ हथियार संचालन सेहो सिखलनि आ बीच–बीचमे अपन देश आबि राजतन्त्रके फेकऽमे लागि गेलाह । लोकतन्त्र आएल । ओहुमे, कमजोरसभ कमजोरे रहल आ जोडगरसभ मालामाल भऽगेल । गरीबहा आओर गरीब भऽगेल आ नेतासभ अमीर भऽ गेल ।उद्योग– व्यवसाय सभ चौपट भऽ गेल ,जेकर कारण युवासभ रोजगारीके लेल भारत,अरब,युरोप,अमेरिका इत्यादि देशमे बौआए लागल।एम्हर राजनीतिक पार्टी आ नेतासभ करोडो –करोडके महल ठाढ करएमे लागि गेल ।मेबालाल सेहो एम.ए. कएलाक बाद राजनीतिमे पुरा समर्पित भऽ लागि गेलाह ।एकटा नव राजनीतिक पार्टीक जन्मभेल,जेकर मुख्य उदेश्य छल, सभ क्षेत्र,जाति,वर्ग,लिंग,भाषा,धर्म,संस्कृतिक नागरिककेँ समान अधिकार देब,समान विकास करब, आ सभकलेल कानुनी राज्यकेँ स्थापना करब । कमजोर क्षेत्र, जाति ,वर्ग,लिंग दिससँ बिरोधके बीच, संविधानसभासँ संविधान बनल आ अखन गणतन्त्रमे बनल सरकारद्वारा प्रयोग कएल जा रहल अछि ।

मेबालालजी सोचऽ लगलाह, ‘ई की भऽ गेल गणतन्त्रमे मंत्री बनबो करब आसान आ हटबो करब ओहूसँ बेसी आसान ।जहिना मंत्रीक संख्या बढल अछि , ओतबे मंत्री बनबाक भूख बढल अछि आ कमे समयमे अपन परिवार,अपन समाज आ अपन चुनावक्षेत्रके लेल मात्र सोचबके भावना बढल अछि ।की सरकारसँ जनता खुश अछि  ?

रुप बदलि अपने क्षेत्रक एकटा  अनकन्टार गाममे गणतन्त्रात्मक सरकारद्वारा देल गेल सेवा–सुविधा पता लगाबए निकललाह ।

छात्र भेटलनि त पुछि देलखिन, ‘पुरनका शासन व्यवस्थासँ, नबका शासन व्यवस्था अहाँक नजरमे केहन  अछि ?

‘महा बेकार ।’

‘से किया ?’

‘पढाइ चौपट अछि ।स्कुल बन्द पडल अछि ।घरमे बैसल–बैसल बोर भऽ गेल छी । किताब भेटबे नहि करैत छै ।जे भेटबो करैत छै ,ओहुमे तथ्य आ तथ्याँक फरक–फरक ।कोन सत्य, कोन झुठ , छुटिआएब कठिन ।स्कूलके फिस बढल जा रहल अछि आ पढाइक स्तर घटल जा रहल अछि । कोनो अनुगमन नहि । ’

किसानके कहब छलनि, ‘ की कहू ककरा सुनाउ के सुनत ।सब रजोसँ बढिकऽ भऽ गेल । नगरपालिका अफिसमे केओ नहि रहैत अछि । कार्यालय सहयोगी एकटा, अफिसके ओगरबाही करैत अछि ।वार्ड अध्यक्ष बेसीकाल मिटिंगमे आ सचिब बेपत्ता । ’

‘अहाँके टोलमे कएटा योजना छै से बुझल अहि ?’

‘नहि,कतौ कोनो जानकारी नहि देल जाइछ ।’

‘बजेट कतेक आएल,से ?’

‘नहि । ’

‘कतऽ आ कतेक खर्च भेलै  से जानकारी देल गेल ? ’

‘नहि,कहियो कतौ रातिए भरिमे बाट बनल, वारिसमे माटि भराइत,पक्की ढलाइ होइत देखै छियै ।सरकारी पैसाकेँ आर्थिक वर्षक अन्तमे जथाभाबी खर्च होइत अही आँखिसँ देखैत रहैत छी,की करु ? केओ जाँचो करएबला छै कि नहि ? ’

‘मल,किटनासक आ प्राविधिकज्ञानके सुविधा केहन अछि ? ’

‘सुविधा रहितै त लोक बोर्डरपर पिटाइए खाइत । आ प्राविधिकके जे बात कहलियै,से सुनै छियै जिल्लामे छै मुदा किया छै ? ,से नहि बुझलियै । हमरा सबके लेल बडका प्राविधिक, एग्रो–भेटक व्यापारीए अछि ।सरकारी प्राविधिक कथिलए रखने अहि ?,से सरकारे जानो । ’

‘खेती पाती कोना भऽ रहल अछि ? ’

‘बड कठिनसँ ।काज करएबलासभ चलि गेल, बिदेश । जोतऽकेलेल बडदके बदला ट्र«ेक्टर आबिगेल मुदा रोपऽके लेल जनेके आश रहल अछि , से बड कठिन भऽ गेल  । सब पाईबला भऽगेल, तेँ काज करऽबला बड्ड कम । रोपऽ, काटऽ , दाओन,फटकऽ–झटकऽ, भंडारण, सब काजके लेल आब मसिने चाही, नहितऽ किछु दिनमे अन्न  भेटब, दुर्लभ भऽ जाएत । ’

मन्त्रीजी फेर आगा बढलाह । एकटा दोकानलग लाठी टेकैत, नहुए–नहुए अबैत, बृद्धाके देखलखिन ।पुछि देलखिन,

‘दाई,कथी कीनिकऽ अबैत छी ? ’

‘दम बढि गेल अहि,तकरे दबाई लऽकए अबैत छी ।’

‘आब तऽ दाई सबकेँ सरकारी बृद्धा पेन्सन भेटऽ लागल अहि । अपने पाईसऽ दबाइ किनलियै की ? ’

‘अपने पाईसऽ कथी किनब ? घिसरी कटाकऽ पाई दैए ।कहियो कहै छै,, निकसे नहि छै ,त कहिओ सचिबे नहि छै । आब कहऽ लगलैए, बैंकमे खाता खोलाउ, ओहिमे पैसा पठा देब ।वार्डके चक्कर तऽ छैके, आब बैंकके कतेक बेर चक्कर कटाओत से नै जानी ।बुझाइयऽ बिना पेन्सन पैनहि प्राण चलि जायत । ’

मन्त्रीजीके गाममे बुझऽबला लोकके सेहो कमी बुझैलनि ।खाली बृद्ध–बृद्धा,अपाँग,रोगी,अशक्त आ की सीप विहीन लोक मात्रेक बोलबाला छल ।

ओ मेयर अपमेयरके सेहो भेटलखिन,ओतहु सामन्जस्यताके कमी बुझएलनि । जनतासँ डेराइत जनप्रतिनिधि,जनसेवाके काज नहि,ठिक्का पट्टाके काजमे बेसी व्यस्त रहल आ ओहिक कारण अपनेमे मुह फुलाफुली चलैत देखलखिन । निर्माणमे बिना प्राविधिक सहयोगमे बनैत अधखिज्जू बाट आ अधिखिज्जू ढल देखलखिन।अखनो बेझिझक नगरमे सासु–ससुरसँ निरीह पुतहुके चरम यातना दैत आ कतेको ठाम हत्यो भेलकेँ घटना सुनलखिन । जनप्रतिनिधिमे पदक दम्भ बेसी आ सेवाभावक भावना लेसो नहि रहल, अनुभव भेलनि । नव व्यवस्थाक जनप्रतिनिधि अएलाक बाद जनताक काजमे सुविधा होइतै ,ताहिमे उनटे कठिनाइ थपल बुझैलनि ।करऽक मारसँ जनता दबल छल मुदा ओहि अनुपातमे , बाटघाटके निर्माण,मर्मत , नगर सरसफाई,ढल व्यवस्थापन,झै झगडामे कमी इत्यादि नहि भऽ रहल छल । सबसँ पैघ, जनप्रतिनिधि आ जनता बीच, सिधा सम्पर्के नहि छल ।

कोरोनासँ व्यथित लोकके लेल जनप्रतिनिधिसभ दर्शकसँ बढिक किछु नहि कऽसकलाह ।बरु किछु मनकारी लोक आ संघ संस्था आगा आबि मदत कएलखिन आ सुरक्षा निकाय सेहो सहयोगीक भुमिका खेललखिन ।

मन्त्रीजी सोचलनि, ‘ धिक्कार हमर एक सय पचास किलोक मालाकेँ आ धिक्कार हमर व्यक्तिवादी सोचकेँ ।राजनीति एकटा मृग मरिचीका जकाँ दिगभ्रमित भऽ गेल अछि । आब हम ओकरा सुधार करएमे लागब।जनतापर शासन नहि सेवा, कोना सुदृढ हएतै ,ओहिमे लागब । आब हम अपन पार्टीकेँ शुद्धीकरणकेँ लेल ‘खबरदारी समुह ’ रखबाबऽमे लागब,जे वार्डसँ लऽकए केन्द्रधरिमे मनपरीतन्त्रकेँ नियन्त्रण करत ।सरकारी पाइक खर्चसँ भेल प्रभावके मुल्यांकन करत आ तदनुरुप अगिला कार्यक्रम बनाओत । गाममे सिंहदरबारक सपना देखाकए , राजदरबारक लुटिहाराद्वारा शोषणकँे दिन आब गेलै ।सच्चा जनसेवक मात्र जनताक आँखिक तारा बनत । ’

पूर्वमन्त्री मेबालाल एकटा दृढसंकल्पित उर्जाशील युवकजकाँ छत्ता तनलनि आ अखाढक झम झम पानिमे पार्टी कार्यालयदिस बिदाह भऽ गेलाह ।नैपथ्यसँ आवाज अबैत बुझएलनि,

‘सार्वभौम जनता –जिन्दावाद ! , जनसेवाकलेल राजनीति –जिन्दावाद !’