संतोष कर्ण ।
भौजी, भैया पिक,
नालामे खसल ।
टांग छनि लटकल,
माथ छनि धँसल ।।
तानला केलहुँ तऽ,
पैन्ट छल फँसल ।
भौजी भैया पिक……..
दुनु हाथमे क्वाटर,
जेबमे गुटखा कसल ।
थर्रथराई छथि एना,
जेना बिजलीमे सटल ।।
नेमों चुसैलियैन मुदा,
नसा कनियो नै घटल ।
भौजी भैया पिक …….
किया दारू सऽ ओ,
ललै छथि टसल ,
पिबी ओतबे जे ,
अपने सऽ पचल ।
अहीं सब कहु ,
बात हमर जचल ?
भौजी, भैया पिक,
नालामे खसल………..