हे गंगा मैया तोहे पियरी चढाएब गीत सुनि हृदयके गंगा मैयाको दुहारि दिसँ घिचैत अछि । मुदा गंगा मैयाके डेग नेपालमे नहि पड़ल अछि, जे मोन होइते दौडैत चलि जइतहुँ । गंगा मैया भारतक सीमामे मात्रे सीमित रहि गेल छथि, ई भारतक सौभाग्य अछि । ओना गंगा मैयाको स्पर्षक अभिलाषी हम सभदिनसँ छलहुँ । एहनमे गंगा स्नानक प्रस्ताव आओत आ हम छोडि देब किनहुँ नहि भऽ सकैत अछि ।
दिन छल गणेश चतुर्थीक । ओहि दिन मेला घुमि कऽ घर पहुँचलहुँ । पहुँचते माँ पुछलक सिमरिया जेबही । हम बिना किछु सोचैत एकहि श्वाँसमे हँ कहि कऽ जवाफ देलहुँ । दिन रबि छल मोडेलखबरके कार्यालयमे पहुँचलहुँ । सोम दिनक लेल विदा लेबाक कौतुहलता छल । पहिनहि बहुत विदा लऽ लेने छलहुँ तएँ कोना विदा लिय से बुझएमे नहि आबि रहल छल । डराइते मोडेल खबरके सम्पादकसँ हिम्मतके गाँठ बन्हैत विदा मँगलहुँ । ओ विदा तऽ देलथि मुदा किछु काज सेहो थमा देलाह । ओ कहलथि ओतए जाइछी तऽ ओतुका एकटा रिपोर्ट बना कऽ आएब तखन मात्रे विदा भेटत । कहियो असगरे रिपोर्टिङ्ग नहि कएने छलहुँ, हुनकर आदेश सुनि मोनमे डर सेहो पैस गेल तथापि फेरसँ हिम्मत बान्हि कऽ सोचलहुँ कऽ लेबै ।
यात्रा आरम्भ,
हम्मर गाम महोत्तरीक नैन्हीमे अछि । ओहिठाम सँ भिन्सरे ७ बजे भगवतिके प्रणाम करैत सपरिवार सिमरियाक लेल प्रस्थान कएलहुँ । जँ जँ गाडी आगा बढि़ रहल छल हम्मर उत्सुकता आओर बढैत जा रहल छल । उत्सुकताक हिलकोर एहन मारि रहल छल जे कखन पहुँ जाई । संगे कार्यालयमे भेटल आदेशके पालन करैत विभिन्न स्थानक दृश्य मोबाइलक कैमरामे कैद करैत जा रहल छलहुँ । घरक लोकसँ ओहि चक्करमे डाँट सेहो सुनए पडि़ रहल छल । मुदा ओहि बातके पचबैत अप्पन काजके निरन्तरता दैत रहलहुँ ।
गंगाघाट पहुँचलाक बाद,
सिमरिया पहुँचते हृदयमे शान्ति आ प्रसन्नताक बिहारि चलए लागल । ५ घण्टाधरि लगातार गाडीक यात्रासँ झमारल आ थाकल मोन जेना आनन्दक सेजपर पैर रहल । कोशो कोशमे पसरल गंगा मैयाके धारा खिलखिला रहल छल । गाडीसँ उतरिते गंगा घाट दिस दौडलहुँ । ओतुका माहौलमे हम एना हेरा गेल छलहुँ जे किछु स्मरणे नहि रहल । मुदा एकाएक हृदयक कोनो कोनसँ आवाज आएल तोरा किछु काजो भेटल छौ । जल्दीसँ गाडीमे गेलहुँ आइडी कार्ड निकाललहुँ आ मोबाइल सेहो लेलहुँ । मुदा कखन स्नान करी तएँ पहिने गंगा स्नाने करएके नियार कएलहुँ ।
स्नानक बाद,
स्नानक बाद सिमरिया घाटक विषयमे हमरासंग बातचित करएबला लोकके जगह जगह खोजि रहल छलहुँ जे किओ तऽ भेट जाए जेकरासँ मोनमे उबैज रहल प्रश्नक जवाब खोेजि सकी । ओना सिमरिया घाटक विषयमे किछु जानकारी पहिनहिसँ जम्मा कएने छलहुँ । ओतुका महिमाक विषयमे जानकारी जम्मा कएलाक कारण आओर बेसी सिमरिया घाट पहुँचएके उत्सुकता बैढ रहल छल । ओहि क्रममे गंगे घाटक किनारमे रहल मन्दिरमे पैस गेलहुँ । ओहिठाम एकटा बाबा भेटलथि हुनकासँ सिमरियाक विषयमे किछु जानकारी दिअ जिज्ञासा रखलहुँ । ओ हमरा मन्दिरक महन्थसँ भेट करौलथि आ हम हुनकेसँ अप्पन जिज्ञासा रखलहुँ । हम्मर पहिल प्रश्न हुनकासँ सिमरियाक इतिहास आ महत्वक विषयमे छल ।
सिमरिया मिथिलाक राजा शिरध्वज जनकके प्रिय स्थानसभमेसँ अबैत अछि । कहल जाइत अछि शिरध्वज जनकके अन्तिम संस्कार सिमरिए घाटमे भेल छल । जाहिसँ हुनका मोक्ष प्राप्ति भेल छल । तएँ सिमरिया घाटके मोक्षद्वार सेहो कहल जाइत अछि । सिमरियामे गंगा मैयाके उत्तराहिनी धारा रहलासँ एहि स्थलके महत्व आओर बढि जाइत अछि ।
सिमरिया घाटमे प्रत्येक वर्ष कार्तिक महिनामे कल्पवास मेला सेहो लगैत अछि । ई मेलाक परम्परा राजा जनककेँ समयसँ रहैत आएल मानल जाइत अछि । एहिठाम मोक्ष प्राप्तिक लेल गंगाक धारामे अस्थी सेहो बहाओल जाइत अछि । जाहिसँ मृतकके मोक्ष प्राप्ति हएत से मान्यता अछि ।
सौभाग्य हम्मर जे सिमरिया घाट पहुँचलाक बाद बहुत जानकारी प्राप्त भेल । सुन्दर स्मृतिसभ संजोगि कऽ ओतएसँ फेर घरक लेल हमसभ प्रस्थान कएलहुँ ।