जनकपुरधाम ।
प्रयागराज महाकुम्भमे सोमदिन सेहो हएत अमृत स्नान । बसन्त पञ्चमीक अवसरपर होबएवला ओ स्नानक विशेष महत्व भेलाक कारणेँ लाखोक भीड़ फेर पहुँच गेल अछि । कुम्भभरि जतए–ततए भक्तजनकेँ देखल जा सकैत अछि ।
मौनापञ्चमीक अमृतस्नानसँ पूर्व भगदर भऽ गेल छल जाहिमे ३० सँ बेसी व्यक्तिकेँ मृत्यु भेल छल । तँए पुनः ओहन घटना नहि होइक प्रशासन गम्भीरतापूर्व काज कऽ रहल अछि । उत्तर प्रदेशक मुख्यमन्त्री योगी आदित्यनाथ स्वयं कुम्भमेला घूमि अवस्थाकेँ निरीक्षण कएलन्हि अछि ।
संतगण हुए, कल्पवासी हुए, देशविदेशसँ आएल श्रद्धालु वा विदेशी पर्यटक, हरेककेँ सुरक्षा आ सुविधा सुनिश्चितपर मुख्यमन्त्री जोड़ देलन्हि अछि ।. शोभायात्राक रूट आ समय हुए वा सामान्य स्नानार्थीक आवागमनक मार्ग विशेष सर्तकर्ता अपनाओल जा रहल अछि ।
त्रिवेणी संगमक ओ स्थान जतए गंगा, यमुना आ पौराणिक सरस्वती नदीक संगम होइत अछि । मान्यता अछि ई पावन संगममे डुबकी लगौलासँ सभ पाप धोआ जाइत अछि आ मनकेँ शान्ति भेटैत अछि । त्रिवेणी संगममे यमुना आ गंगाक मिलन तँ साफरुपसँ देखल जा सकैत अछि, मुदा सरस्वती नदी नहि देखाइ दैत अछि, ओ अदृश्य अछि ।
हरेक बारह वर्षपर प्रयाग, हरिद्वार, उज्जैन आ नासिकमे सँ कोनो एक स्थानपर लोक जम्मा होइत अछि आ नदीमे पवित्र स्नान करैत अछि । ‘कुम्भ’ क शाब्दिक अर्थ ‘घैला, सुराही, बर्तन’ अछि । ई वैदिक ग्रन्थमे पाओल जाइत अछि । एकर अर्थ, बराबर पानिक विषयमे वा पौराणिक कथामे अमरता (अमृत) क बारेमे बताओल जाइत अछि ।
कुम्भ पर्वक आयोजनकेँ लऽ कऽ दू–तीन पौराणिक कथा प्रचलित अछि जाहिमे सँ सर्वाधिक मान्य कथा देव–दानवद्वारा समुद्र मन्थनसँ प्राप्त अमृत कुम्भसँ अमृत बून्द खसएसँ लऽ कऽ अछि । जतए–जतए बून्द खसल छल ओतए कुम्भ होइत अछि ।