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मनमे लागलः मात्र मन्त्री बनएकेँ सख किए ?





सुजीत कुमार झा ।
शरतसिंह भण्डारी पड़ोसी जिल्ला महोत्तरीक नेता छथि । हरेक व्यक्तिकेँ अपन पहिचान होइत अछि । हिनक पहिचान मन्त्रीकेँ छन्हि । हिनका मन्त्रीक राजा सेहो कहल जा सकैत अछि । एखनधरि १३ बेरसँ बेसीबेर मन्त्री भेल छथि । कहिओकाल लगैत अछि ई मन्त्री होबए लेल जन्म लेने छथि ।
एकदिन हिनकासँ एकटा टेलिभिजनक लेल अन्तरवार्ता लऽ रहल छलहुँ । पुछने रहियन्हि एतेकबेर मन्त्री बनैत छियैक मन नहि अघाइत अछि ? कनिदेर हमरा दिस तकैत रहलथि आ प्रतिप्रश्न कएलन्हि खाली मधेशीए नेता देखाइत अछि बेर–बेर प्रधानमन्त्री बनएवलासँ नहि पुछैत छियैक हुनका किए मन नहि अघाइत छन्हि ।
अघाएवला प्रश्नपर ओ टारएकेँ लेल प्रतिप्रश्न कऽ देलन्हि । हमरा बुझएमे भाँगट नहि रहि गेल छल ओ एखनो पाँच–सातबेर मन्त्री बनता । जहिआ हम हुनका ई प्रश्न कएनी रही तहिआ ओ ११ अम बेर मन्त्री बनल रहथि आब तँ १३ बेर वा ओहिसँ बेसीबेर भऽ गेल छथि ।
एखन केपी शर्मा ओली सरकारमे श्रम मन्त्री छथि । इतिहासक बात कएल जाए तँ शरतसिंह भन्डारीक मन्त्री पदक पहिल खाता २०४४ फागुनमे खुजल छल । पञ्चायत व्यवस्थाक अन्तिम प्रधानमन्त्री मरिचमान सिंह श्रेष्ठ २०४४ साल फागुनमे मन्त्रिमण्डल पूनर्गठन कएने रहथि ओ मन्त्रीमण्डलमे पञ्चायत तथा स्थानीय विकास सहायक मन्त्री ई भेल रहथि । एकर एकवर्षक बाद २०४५ कातिकमे भण्डारी वाणिज्य राज्यमन्त्रीमे बढुवा भेलथि ।
२०४६ सालमे पञ्चायत व्यवस्थाक पतन आ बहुदलीय व्यवस्थाक स्थापनासंगहि करिब ५ वर्ष हिनक राजनीतिक चढ़ाव रुकि गेल । पञ्चायत व्यवस्थाक समर्थकसभ चुनावमे उठएकेँ हिम्मत नहि कएलाक कारणेँ ओ ०४८ सालक आम निर्वाचनमे ओ हिम्मत नहि कएलन्हि । मुदा ०५१ कातिकमे सम्पन्न मध्यावधि निर्वाचनमे ओ फेर महोत्तरीसँ स्वतन्त्र रुपमे प्रतिनिधिसभा सदस्यमे निर्वाचित भेलथि । तकरबाद फेर हुनका मन्त्री बनएकेँ अवसर आएल ।
मनमोहन अधिकारीक अल्पमतके सरकार खसलाक बाद ०५२ भादवमे कांग्रेस संसदीय दलक नेता शेरबहादुर देउवा प्रधानमन्त्री बनल रहथि । देउवाक ‘जम्बो’ मन्त्रिपरिषद्‍मे ०५२ अगहनमे भण्डारी बिना विभागीय राज्यमन्त्री बनल छलथि । ०५३ पुस २४ गते बिनाविभागीय मन्त्रीमे बढुवा भेलथि । देउवा सरकार विघटन भऽ लोकेन्द्रबहादुर चन्दक नेतृत्वमे एमाले सम्मिलित सरकार गठन भेलापर भण्डारी मन्त्री नहि बनलथि ।
पञ्चायतमे २ बेर मन्त्री भऽ गेलाक बादो हिनका चन्द खेमा पसिन नहि कएने रहथि । जखन चन्दकेँ विस्थापित कऽ कांग्रेसक संग आ सहयोगमे सूर्यबहादुर थापा प्रधानमन्त्री बनलथि कि हिनक दिन फेर फिरल । ०५४ आसिनमे भण्डारी युवा, खेलकुद तथा संस्कृति मन्त्री बनए सफल भेलथि । सूर्यबहादुर थापाक बाद प्रधानमन्त्री बनल गिरिजाप्रसाद कोइराला भण्डारीकेँ पसिन नहि कएलन्हि । जकर प्रमाण कोइरालाक कोनो मन्त्रिपरिषद्‍मे ओ मन्त्रीक रूपमे नहि समटेलथि ।
२०५६ सालमे सम्पन्न आम निर्वाचनमे ई फेर महोत्तरीसँ प्रतिनिधिसभा सदस्यमे निर्वाचित भेलथि । ओहि समयधरि भण्डारी कांग्रेस बनि गेल रहथि । कांग्रेससँ चुनाव उठिकऽ जीतलथि आ कृष्णप्रसाद भट्टराईक नेतृत्वमे गठित मन्त्रिपरिषद्‍मे ०५६ जेठमे भण्डारी पुनः युवा, खेलकूद तथा संस्कृति मन्त्रीमे नियुक्त भेलथि । फेर भट्टराईद्वारा मन्त्रिपरिषद् पूनर्गठन कएलापर ०५६ फागुनमे हुनक विभाग फेरल गेल आ ओ स्वास्थ्य मन्त्री बनलथि ।
ओहि सालक चैतमे गिरिजाप्रसाद कोइराला कृष्णप्रसाद भट्टराईकेँ प्रधानमन्त्रीसँ हटाकऽ स्वयंं प्रधानमन्त्रीमे पदासीन भेलाक बाद किछु समयक लेल भण्डारीक मन्त्री बनएकेँ क्रम रुकल छल । कांग्रेस भीतर सत्ता संघर्षमे जखन शेरबहादुर देउवा गिरिजाप्रसाद कोइरालाकेँ पछारलन्हि, ओ प्रधानमन्त्री भेलाक बाद शरतसिंह भण्डारीक दिन फेर खुजल । मन्त्रीक झण्डा फहरावए नहि पएलाक दू वर्ष नहि बितैत ओ २०५८ साल साउनमे फेर स्वास्थ मन्त्री भेलथि ।
तकरबाद भण्डारी ज्ञानेन्द्र शाहक शासनकालभरि मन्त्री होबएसँ वञ्चित भेलथि । जनआन्दोलन दूकेँ सफलताक बाद २०६३ वैशाखमे गिरिजाप्रसाद कोइरालाक नेतृत्वमे सरकार गठन भेल । मुदा ओ मन्त्री नहि बनलथि ।
माधवकुमार नेपाल प्रधानमन्त्री भेलाक बाद २०६६ जेठमे गठित नेपालक मन्त्रिपरिषद्‍मे ओ पर्यटन तथा नागरिक उड्डयन मन्त्री बनए सफल भेलथि । ओहि समय ओ कांग्रेस छोडि़ मधेसी जनअधिकार फोरममे लागि गेल रहथि । उएह पार्टीसँ मन्त्री बनल रहथि ।
२०६८ भादवमे बाबुराम भट्टराईक नेतृत्वमे गठित मन्त्रिपरिषद्‍मे भण्डारी रक्षामन्त्री बनए सफल भेल रहथि । केपी शर्मा ओली २०७८ जेठ २१ मे मन्त्रिपरिषद् पूनर्गठन कएलाक बाद भण्डारीकेँ उर्जा मन्त्रालयक जिम्मेवारी देल गेल छल । ओ ०७९ साल चैतमे पुष्पकमल दाहाल नेतृत्वक सरकारमे श्रम तथा सामाजिक सुरक्षा मन्त्री बनल छलथि । एखनो ओली नेतृत्वक सरकारमे मन्त्री बनल छथि । लोसपामे अध्यक्ष महन्थ ठाकुर, भण्डारी, सर्वेन्द्रनाथ शुक्ला आ रामप्रकाश चौधरी संघीय सांसद छथि । कहल जाइत अछि पार्टी शुक्लाकेँ मन्त्री बनावए चाहैत छल मुदा भण्डारीक रणनीतिक आगाँमे ककरो नहि चलल ।
जहिना ओ मन्त्री बनैत गेल छथि ओहिना पार्टी परिवर्तनक क्रम सेहो जारी रखने छथि । मन्त्री बनैत जा रहलाक बाद लगैत अछि मात्र मन्त्री बनए लेल ई पार्टी परिवर्तन करैत छथि ।
काठमाण्डूक एकटा पत्रकार किछु दिन पहिने सुनौलन्हि एक दिन सुवास नेम्वाङ, सुरेन्द्र पाण्डे, भीम रावल, शरतसिंह भण्डारी सहितक नेतासभक विषय बातचित चलिरहल छल । २०३१÷०३२ सालमे नेम्वाङ नेपाल ल क्याम्पस, रावल रत्न राज्यलक्ष्मी क्याम्पस, पाण्डे सरस्वती क्याम्पस आ शरतसिंह भण्डारी त्रिचन्द्र क्याम्पस पढैत रहथि । हुनकासभक अनुसार ओहि समय शरतसिंह भण्डारीक विषयमे दूटा टिप्पणी चर्चित छल ।
एउटा– हिन्दी सिनेमामे बेसी खलनायकक भूमिका खेलएवला रञ्जित जेहन । रञ्जित सिनेमामे बड़का बेल्ट लगबैत रहथि । शरत सेहो ओहने बड़कावला बेल्ट लगबथि । मुँह सेहो मिलैत अछि से टिप्पणी विद्यार्थीबीचमे होइत छल । शरत सेहो एहन टिप्पणीसँ तमसाइत नहि छलथि । दोसर– शरतसिंह भण्डारी राजनीतिमे स्थापित हएता, कोनो नहि कोनो भूमिकामे स्वयंकेँ स्थापित करौताह । एना कहएकेँ पाछाँ सेहो दू कारण छल । पहिल– हुनक पारिवारिक पृष्ठभूमि राजनीति छल । दोसर– अपन हैसियत स्वयंं बनावए सकएकेँ खूबि हुनकासंग विद्यार्थी कालहिमे छल ।
कनिदिन पहिने सर्लाहीक एकटा गाममे गेल छलहुँ । जाहि रुपसँ विकास होएबाक चाही ओ भेल जकाँ नहि बुझाएल । एना किए ? हमर जिज्ञासामे ओ गामक एक स्थानीय सुनेलन्हि एहि क्षेत्रक मन्त्रीए नहि बनैत छैक तखन कोना विकास हेतैक । स्थानीयसभक कहब जायज छल । मन्त्रीसभ सभसँ बेसी विकास अपन क्षेत्रमे करैत छथि । बजेटो अपने क्षेत्रमे लऽ जाइत छथि ।
ओहि गामसँ अबैत काल बाटमे मन्त्री आ अपन क्षेत्रक विकाससँ जोडि़कऽ बहुत बात मस्तिष्कमे घूमैत रहल । किछु सत्य सेहो अछि जखन विमलेन्द्र निधि भौतिक पूर्वाधार मन्त्री रहथि तँ अपन क्षेत्रक अधिकांश सडक बनबा लेलन्हि । जटहीसँ ढल्केवर सडक खण्ड ६ लेनकेँ स्वीकृत करबा लेलन्हि । प्रचण्ड सरकारमे भौतिक पूर्वाधार मन्त्री रहल एमाले नेता रघुविर महासेठ किछुए दिन पहिने अपना क्षेत्रमे अत्याधिक बजेट लऽ गेलथि । माओवादी नेता गिरिराजमणि पोखरेलक विषयमे ककरो कहबाक आवश्यकता नहि अछि । महोत्तरीक बर्दिवास क्षेत्रक विकासमे ओ कतेक योगदान कएने छथि ।
मुदा बेर–बेर मन्त्री बनाएवला भण्डारीकेँ गनावएवला कोनो एकटा विकास काज नहि देखल जाइत अछि । जाहि क्षेत्रसँ लड़ैत छथि उम्हर हुनक ध्यान नहि देखल जाइत अछि । जाइत अछि तँ मात्र मन्त्री मन्त्री मन्त्री । तँए मात्र मन्त्री बनलासँ विकास होइत अछि ई सोचकेँ भण्डारी गलत साबित कएने छथि । हुनका मात्र पद चाही । मन्त्री आ विकासक सम्बन्धमे आब हम स्वयं भ्रमित भऽ गेल छी ।