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मैथिली कथाः विवाह एकटा संघर्ष





काली मन्दिरसँ कनिके दुरी पर हुनकर घर छल । राजु के बियाहस पहिने तुलसी काली मैयाँकेँ खुब गुहार लगबैत छलथि माँ हमर बेटाके मति गति भ्रष्ट नै होबए देब आइ काल्हिकेँ बिगरल छौरा सब जँका । अपना पसिनसँ बियाह करए लेल भागि जाइत रहैय, हमरा तऽ दोसर बेटा अइछो नै जे हम ओकरा सहारे जियब ।
अते बात ओ सब दिन कहैत रहैत छली । एक दिन तुलसी रोशनकेँ रूम बहारैत छलीह हुनका एकटा पायल भेटल जे रोशन अपन सिर्मा तरमे रखने छल । ओ देख तुलसी जोर जोरसँ छाती पिटए लगलीह । हे काली मैया हे काली मैया इ कि कदेलियै, हे कालि मैया हमर पुजामे कि कमि रहि गेल छल जे इ सजाय देलहुँ । इ सुनि कऽ रोशन आ राधे (रोशन के बाबूजी) दौर कऽ एलाह । कि भेलौ किए कनै छे ? तुलसी रोशन के धकलैत कहलीह रे सखजरुवा रे सखजरुवा सबटा मन मनोरथकेँ आगि लगा देले रे । हम त सोचैत छलहुँ हमर बेटा सबसँ अलग अइ, संस्कारी अछि मुदा तोँ हमरा धोखा देले रे सखजरुवा । रोशन राधेकेँ मुह पर तकैत बजलाह बाबूजी पुछियौन कि भेलै माय के । राधे कुर्सी पर बैसैत कहला एलौ नैहरकँे भुत तोरा मतारीपर, ओझा भगताकेँ बजा । बाबूजी अहाँकेँ तऽ जखन तखन मजाके सुझाइय । माय बजै न कि भेलौ, तुलसी रोशनकेँ हाथमे पायल दऽ खिसिया कऽ बजलीह ई कि छै ? कोन डाइन के नजर लगलौ तोरा आब से कह ।
रोशन एकदमसँ अक बक भगेल, किछु बाजए नै सकल । राधे कन्हुवा कऽ तकैत बजलाह ए.. ई भुत चढ़ल छै । नैहरकेँ भुतकेँ पालो बुझैय आइ नै छै । रोशन आ तुलसी दुनु राधे दिस तकैत रहलाह । रोशन किछु नै बाजल मुदा तुलसी कहलीह हँ नै छै, नै तऽ सभसँ पहिने अहिँके उठा कऽ बजार्ने रहितहुँ । गेलहुँ कि नै अहिठामसँ । राधे अपन मुँहक बात मुँहेमे राखि ओतएसँ चैल गेलाह । रोशन भित्रे भित्रे हसए लागल । तुलसी फेरसँ कनैत बजलीह इ कि छै से कह? इ हमरा नै बुझल अछि हमरा रस्ता पर भेटल त उठा लेलहुँ रोशन अपन नजर चोरबैत बाजल । तुलसी कनि शान्त होइत पुछलीह सच कहै छे ने ?
खो त हमर कसम कहैत रोशनकेँ हाथ अपन माथ पर राखि लेलिह ।
रोशन चटसँ हाथ हटा लेलक हमरा अफिस जेबाक अछि अबेर भगेल जाए दे । कहैत ओतएसँ भागि गेलाह ।
बस्स आब बहुत भेल अहाँ हमरासँ विवाह करब कि नै से कहु । हम लड़की भऽ कऽ अपन माय बाप सबकेँ कहि देलहुँ मुदा अहाँ लड़का भऽ कऽ अपन मायसँ डराइत छि, रागिनी रोशनसँ खिसियाइत बजलीह । रागिनी ओ लड़की छल जकरा रोशन पसन्द करैत छ्लाह । रोशन रागिनीक हाथ पकरैत बाजल अहाँ नै बुझै छियै बहुत अजिब छै हमर माय । पता नै कि दिमागमे बैसा लेने छै, किछु समझमे नै अबैय । रािगनि अपन हाथ छोड़बैत कहलीह ठिक छै तऽ जाउ अहाँ अपन मायकेँ आँचर पकरि कऽ घुमु हमरासँ बात नै करु ।
रागिनी अहाँ किए नै बुझै छियै हमर मायकेँ नै पसन्द छै, कि हम अपन पसिनसँ विवाह करी ओर हम माय के दुख नै देब चाहैत छि रोशन कने भावुक होइत बाजल । आ हमरा ? हम किछु नै मएटर करैत छि अहाँ लेल कहैत रागिनी रेस्टुरेन्टमेसँ चैल गेलिह । रागिनी सुनु नऽ रुकु नऽ रोशन कहैत अपन हाथ माथ पर राइख लेलक । कि करु हम किछ समझ नै आबि रहल अछि । कि तहने हुनका आइडिया आएल किए नहि हम रागिनीकेँ फोटो घरमे जे फोटो सब आएल छै ओइ मे मिला दि । कोन ठिक कहि बात बैन जाए ?
भेबो तेहने कएल तुलसीके रागिनीक फोटो पसिन आइब गेल, अबैत कोना नहि, गोरनार छलीह, लम्बा केश आ गढ़निमे पाइन छ्लैक रहल छल । ओ फोटो लऽ कऽ रोशन लग गेलिह आ कहलीह बौवा इ लडकी देख तऽ केहन छौ ? हमरा तऽ बहुत निक लगल । रोशन फोटो देखि कऽ कहलक त तो हि कहले हमरा कनिको निक नै लागल । एकरासँ विवाह नै करबाक अछि ।
तुलसी खिसियाइत बजलिह कि तु एकरासँ नहि विवाह करबे हमर पसन्दकेँ तु मना कर्बे आब तऽ तोरा एकरेसँ विवाह करए परतौ तोरा हमर कसम छौ । हम नै करबौ भाइग जेबौ हम कहैत भित्रे भित्रे खुब खसी भऽ रहल छल रोशन । रागिनी के फोन केलक, कि यै हमर कनिया हम आब ला तैयार छि ने?
रागिनी बातके मजाक सम्झैत बाजल अहाँ के तिलबिख्नि माय माइन गेल जेना । हँ माइन गेल तएँ तऽ कहलहुँ रोशान कहलक । है सच्चे? रागिनी खुसी होइत पुछलक । ओ कहलक हँ हमर फुलनदेवी ।
तुलसी खुब खुसी छलीह कि अपन बेटाके बियाह अपना पसिनसँ केलहुँ । दुरागमन भेल कनिया सासुर आएल खुब मख्ख छलीह अपन सुन्दर पतहु के देखि कऽ । रोशन राधेसँ पुछ्लक बाबूजी कनिया केहन लागल मायकेँ पसिनकेँ । राधे खैनी लगबैत कहलथि केहन लगतै जेहने कगिनिया तोहर माय छौ तेहने खोइज क लाएल हेतौ । रोशन हँसैत बाजल नै बाबूजी कनिया बहुत निक अछि आ कनिया मायके नै हमर पसिन के अछि । राधे आश्चर्यचकित होइत बजलाह, है कि बात करै छे कोना सम्भब भेलौ ई बात उहो ई नटिनिया के रहैत ? धीरे बाबूजी माय सुनि लेत तऽ घरसँ निकालि देत हमरा । मुदा तोँ इ कएले कोना ? रोशन सभटा बात कहलक जे बाँकी लडकी सबके फोटोमे रागिनीके फोटो सेहो राखि देलियै । राधे खुब हँसए लगलाह, वाह बेटा आखिर तु साबित कैये देले जे हमर बेटा छे स्यावाश । दुनु हाथसँ ताली बजबिते तुलसी कहलीह हँ एकदम चावासी दियौ । राधे आ रोशन दुनुकेँ मुहकँे रङ उइर गेल दुनु एक दमसँ चुप्प भऽ गेल । वाह बेटा बहुत निक कएले मायकेँ आँखिमे छाउर झोइक कऽ कनैत तुल्सी ओतएसँ चैल गेलिह । माय सुन न कहैत रोशन पाछु जाइत छल कि राधे हाथ पकैर लेलथि आ कहलन्हि छोइर दहि अपने शान्त भजेतौ जिद्दी छै मुदा हृदय के खराब नै छौ माइन जेतै । जो तु कनिया लग ।
एक महिना बाद
माय कहियाधरि रुसल रहबे आब तऽ माइन जो रोशन तुलसीसँ कहलक । तुलसी मुह टेढ करैत बजलीह कहियो नै मानबौ आ मानियौ किए ?
जहिआसँ बियाह भेलौ तहियासँ एक्को बेर पएरो दबाबए एलौ । खाएओ लेल कहिओ कैह कऽ देल्कौ ? एक त हमरासँ राजनिती कऽ तु एकरा हमर पतहु बनेले मुदा पतहु बैनो कऽ कोनो सुख देलकौ एखन तक , जे हम मानी यौ ? रोशन तम्साइत रागिनीके बजौलक आ कहलक रागिनी ई कि सुनै छि अहाँ मायके सेवा किए नै कहियो करैत छि । अहाँके बियाह स पहिनहि कहने छलहुँ ने कि हमर माय के कोनो प्रकारक दुख नै हएबाक चाही । त इ कि सुनि रहल छि । रागिनी आश्चर्यसँ तुलसी दिस तकलीह आ कहली बाप रे कते आगि लगौनी अछि अहाँके माय दिन राइत हम हुनका मनाबमे अपन जि जान एक कदेने छि मुदा कतेक झुठ बजै छैथ छिः । रागिनि मर्यादामे रहु हमर मायकेँ बारेमेँ एक शब्द नै अल्टर बाइज सकै छि ।
तुलसी ब्यङय करैत खुब कानए लगलीह इहे दिन देखएके बाँकी छल हमर परोछमे त इ गाइर्ह पैढ्ते छल आइ बेटो ल गाइर्ह पैढ देलक हो राम । रागिनी दुनु आँखि बडका करैत बजलीह दैब रे दैब कते झुठ बजै छै इ बुढिया हम आइ तक किछ नै कहने छि कोनो झुठा कलंक लगा रहल छै रे दैब । रोशन तामसमे भरल आँखिसँ देखैत बजलाह अहाँ मायके गाइर्हो पढ्ने छि, छिः अहाँसँ एहन उम्मिद नै छल रागिनी कहैत रोशन अपन मायसँ माफी मांगए लागल । रागिनी ओतएसँ पिन्कैत अपन रूममे चैल गेल आ सभटा सामान लक बाहर निकलए लागल । रोशन प्रश्न केएलक आब कि नया नाटक सुरु केलौ अहाँ । नाटक अहाँक लेल हएत जँ अहाँके हम्मरा पर विश्वासे नै अछि तऽ हम कि करु रहि कऽ अहाँके माय सत्य बजैत छथि, रहु अहाँ हुनकर कोचा पकैर कऽ हमरा नै रहबाक अछि । रागिनी पहिने बात सुनु बेसी दिमाग नै चलाउ शान्तसँ घरमे बैसु । रागिनी तम्साइत बजलीह हमरा माफ करु हम ओ लड़की नै छि जे सभ करैतो रहु आ चुपचाप सब सुइनतो रहु कहैत बिदाह भगेलि । रोशन सेहो पितस बाजल जो एकर बाद कहिओ नहि अबिहे ।
तुलसी खिड़कीसँ देख खुब खुसी भऽ रहल छलीह हम्मर बेटा आब हमरे रहत लोक जकाँ अपन कनिया के गुलाम नै बनल ।
रोशन बाहर दलान पर माथ पर हाथ धक बैसल छल राधे बारीसँ गाई लेल घास लऽ कऽ एलथि, कि भेलौ बौवा किए मुरझाएल छए, फेर माय के देह पर नैहरके भुत आएल छलौ कि । कि बाबू जि आहु जखन तखन कहैत रोशन चुप भगेल । ब्यङय करैत छलौ कहा ने कि भेलौ । रोशन सभटा बात बतेलक अन्त मे कहलक हम त अपना पसिनसँ बियाह केलौ जे ओ बुझत हमरा, पहिलेसँ चिन्हैत रहत मुदा नै काश हम माये के पसिनसँ बियाह कएने रहितहुँ तऽ शायद आई खुस रहितहुँ । राधे हँसैत बजलथि हँ हमरे सनके खुस रहिते तोरो मतारी त हमर माये के पसिनके छलौ मुदा हमर जिवन नर्क बनौने अछि कि नै ? मतलब बाबू जि रोशन प्रश्न कएलक । मतलब साफ छै बियाह चाहे जेकर पसिनसँ हुए मर्दके अवस्था गदहा सनके भेले अछि, कतबो भार उठा लिय भार के भार कहियो नै कम होइत अछि जिवनमे सबके संघर्ष करबाक चाहि आ जिवनमे सभसँ बडका संघर्ष विवाह अछि ।