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मैथिली कथाः सँयोगसँ बाँचल जिनगी 





                                     

                                                        

  प्रा. डा.सुरेन्द्र लाभ

‘ओह, बाँचि गेलहुँ ‘ बुढबाक  मुँहसँ निकलल छलैक आ’ ओ देखलकै मोटर साईकिलवला फर्रसँ आगाँ भागि गेलै।

        मोने मोन ओ सोचए लगल जे आब ई नगर रहए जोगर नहि रहि गेलैक। कतेक भीड बढि गेलै ? कतेक गाडी भ’ गेलै शहरमे ? आ’ मोटर साईकिल त’ एना नै घरे घर बढलै जेना कहियो साईकिलो नै रहै ।छौंडासब चलएबो करैछै तेना ने जेना जानक कोनो परवाहे नहि होइक । 

         ‘रे बौवा अप्पन जानक परवाह नै छाै त’ नै छौ, कमसँ कम माय बापक त’ खयाल कर । ओहो नै त’ कम्तीमे हमरा सन सन बाटपर चलएवला बुढ बटोही पर त’ दया कर’-कहए चाहलकै । मुदा ककरा कहतै  ? के सुनतै  ? बजारमे निकललाक बाद प्रत्येक दिन ओकरा इएह लगैत छलैक जे ‘ आई सँयोगसँ बाँचि गेलहुँ ।’

मोनमे क्षोभ नेने ओ घर घुरल छल।बेटा पुछलकै -‘की भेल बाबूजी?’बुढबा जबाब देलकै-‘की कहियऊ,आईकाल्हिकेँ छौंडासब तेना ने मोटर साइकल चलबै छै जे कखन अपन जान जएतै आ’ कखन दोसरके ल’ लेतै तकर ठेकान नहि । आई त’ बुझ संयोगेसँ हम बाँचि गेलहुँ।’ 

पुत्र बिनु किछु प्रतिक्रिया देनहि भितर चलि गेलै । भितर पुत्र आ’ पुत्रवधु बीच संवाद प्रारंभ भ’ गेलै,जे ओकर कानमे परए लगलै – 

         – फेर बाबूजी केँ की भेलै?

        – की हएतै ? ओएह पुरने रटान, आई संयोगसँ बाँचि गेलहुँ ।बजार दिस पठा दै छियनि जे कहुना मोन लगतै, मुदा सब  दिन कनैत अएता जे आई सँयोगसँ बाँचि गेलहुँ ।

         – आई त’ पैदल गेल छलाह ने ?

      – आई पैदल छलाह त’ कहै छथिन मोटर साइकिल बला मार’ लागल छल,मुदा संयोगसँ बाँचि गेलहुँ। ओहि दिन रिक्साक’ देने रहियै तखनो ईएह शिकायत रहै ने ‘बाप रे कोना रिक्सावला हाँई हाँई चलबै छल , हम त’ संयोगेसँ बाँचि गेलहुँ।’

         – आ’ ओहि बेरूका बात बिसैर गेलियै ?

          –   कोन बेरुका ?

          – ओहिबेर ने तीर्थ यात्रा कराब’ दुर्गा स्थान अपने गाडीसँ ल’ गेल रहियै, तहन कतेक बात ड्राइभरकेँ सुनौने रहथिन ?

        –  मोन परल । बाप रे दु घण्टाक बाटमे कमसँ कम दू सय बेर ड्राइभरकेँ बात कहने हेथिन ,’ रे हमर जान लेबे की ?  आई  हमर जान ई लैए क’ रहत । रे स्थिरसँ चलो, कने आर स्थिरसँ चलो।’ सब केँ अक्छा देने रहथिन । 

बुढबा चुपचाप सब सम्वाद सुनैत रहल । ने कोनो बाद ने प्रतिवाद । दुनू आँखि बन्द छलैक।कहिने    कखन अपन चौकिपर आबि पडि गेल छल।ओ जागल अछि कि सुतल, अपनो ने ठीकसँ बुझबामे आबि रहल छलैक ।  बिच बिचमे बेटा पुतहु मध्य चलैत संवाद कानमे पडि जाइत छलैक। …     

  • एना किया बाबूजी नौटंकी करैत छैथ ?
  • कहियासँ एना छै ? 

       एमहर बुढबा मोन पारए लगैछ – कहियासँ ओकरा एना भ’ रहल छै? किछु सूत्र ने हाथ लागि रहल छै । मुदा जबाब त’ खोजए पड़तै, नहि त’ धियापुता सब एकरा नौटंकीए कहैत रहि जएतै।

              विद्यार्थी जीवनमे सब किछु ठीकठाक रहैक।खुब निकसँ पढैत लिखैत छल,अतिरिक्त क्रियाकलापमे सेहो भाग लैत छल । एतबे नै विद्यार्थी राजनीतिमे सेहो निडरतापूर्वक भाग लैत छल ।तहिया देशमे निरंकुश व्यवस्था रहैक तथापि ओकरा व्यवस्था विरोधी नारा जुलुश जायमे  कोनो डर नै होई छलैक।मुदा आब की भ’ गेलैक? कोना भ’ गेलैक? किया प्रत्येक पल ओ भयाक्रान्त रहए लागल ? छात्र जीवनमे जे एकटा क्रान्तिकारीक छवि बनौने छल से आई एतेक डरपोक कोना भ’ गेल ? बुढबा अन्हार घरमे जेना हथोरिया क रहल होइक , मुदा किछु हाथ नै लागि रहल छलैक ।ओम्हरुका सम्वाद कखनो काल एमहर चलिए अबैत छलैक।…

  • सुनै छलियैक जे बाबूजी नीक शिक्षक छलाह 
  •  से त’ ठीके 
  • तखन एना कोना भ’ गेलाह ?

      बुढबा सोचैत अछि … की हम ओएह मनुक्ख छी जे अपन पढाई समाप्त होइते गामक विद्यालयमे शिक्षक बनि गेल छल  आ’ जकर ख्याति दू चारिए मासमे चारु दिस पसैर गेल छलैक ।जेहने विद्यार्थीकेँ पढाब’ लिखाब’ मे ओस्ताद तेहने अनुशासन प्रिय शिक्षकके रूपमे ओकर पहिचान बनल रहलैक आजीवन । 

               बुढबाकेँ आइयो मोन छै जे कोना विद्यालयकेँ शिक्षकसब अपन वाजिव मांग राखि हड़ताल कएने छलैक आ’ एक दिन एकटा नेताकेँ बेटा छूरा ल’ क’ अफिसमे घुसिक’ शिक्षक सबकेँ धमकी देबए लगलै-‘ आई देखै छी कोन मास्टर क्लाशमे नै जाईय ?’ सब शिक्षक सकपका गेलै ।सब उठबाक उपक्रम करए लागल । ओकरा बुझ्एलै ई अनर्थ छैक । कोनो गुण्डाक छूराक डरसँ हड़ताल तोरब कायरता हएत आ’ ओ गरजए लागल-‘ हिम्मत छौ त’ आगा बढ ,मुदा तोरा धमकी देलासँ हडताल नै टूटतै ।’ ओकर आवाजमे ततेक बेसी ने दृढता रहैक जे  गुण्डा माथ झुकाक’ घुरि गेल रहैक।एहि आश्चर्यजनक घटनाक बाद एकटा साहसी नेताक रूपमे सम्पूर्ण शिक्षक समुदायक सर्वमान्य भ’ गेल छलैक ओ। मुदा आब ओ साहस कत्त’ गेलै? कत्त’ गेलै ओ निडरता ,जकर प्रसंशासब करै ? ओकर दिमाग जेना काजे ने क’ रहल होइक । फेर दिमाग भितरसँ अबैत सम्वाद दिस जाइत छैक ।… 

  • कि माय जहियासँ खतम भेलखिन तहिएसँ त’ नै बाबूजीकेँ एहन समस्या भ’ गेलै?
  • भ’ सकैए , ओना किछु कहल नै जा’ सकैए !
  • मुदा बुढ सबहोई छै आ’ एक दिन सब मरै छै ।
  •  ई त’ शाश्वत सत्य छै ।   

          ‘छै त’ ई शाश्वत सत्य’ बुढबाक मोन भेलै जे ओ जबाब दै ‘ तथापि असीम पीडा होई छै बाऊ।’

          मुदा ओ पूर्ववत गुम्मे रहल ।अन्तरमनमे चक्रवात चल’ लागल रहै।बुढिया मन परए लगलै। खेले खेलमे ओकर विवाह भ’ गेल रहै ।तै ने पत्नीक महत्त्व बुझल रहै,ने महिलाक महत्ता।मुदा पहिल सन्तानक जन्म कालमे जेना ओकर सम्पूर्ण कठोरता पिघैल गेल रहैक।प्रसब पीडासँ  छटपटाईत पत्नीक क्रन्दन जखन कोठलीसँ बाहर आबए लगलै तखन ओकर धैर्य जबाब द’ देलकै आ’ ओ केबार ठेलक’ भितर पहुँच गेल छल ।प्रसव कार्यमे संलग्न महिलासब एक्कहि बेर चिचिया उठल रहै-‘जा’ जा’अँहा किएक भितर अएलहुँ?’मुदा ओकर ध्यान ओहि कोरस पर नै जा’ सीधा अपन पत्नीक चेहरा पर गेल रहैक।पत्नीक चेहरा पर उठैत पिडाक ज्वारभाटाकेँ देखि ओकर करेज दरकि गेल रहैक।पत्नीक पीडा ओकर अपन पीडा बनि गेल छलैक। ओहने क्षणमे अनुभूति भेलैक जे महिला मात्र  बच्चाक जन्म नै दै छै, प्रत्येक बच्चाक जन्मक संग ओकरो पुनर्जन्म होइत छैक ।तत्पश्चात् पत्नी ओकरा नजरिमे महान भ’ गेल रहै । 

           शनै: शनै: समय ब्यतित होइत गेलै आ’ कहि ने कहिया पत्नी मायके भूमिकामे चलि अएलै ? भोजन कखन करब ,की करब, कतेक करब सब बुढिएकेँ बुझल रहै ।की पहिरब, कत्त’ जाएब सब निर्णय बुढिए करै आ’ से ओकरा नीक लगै ।ओ पूर्णत:पत्नी पर अबलम्बित प्राणी भ’ गेल छल ।

             बात बातमे बहुत बेर पत्नीकेँ कहि दैत छलैक-‘ हे अँहा पहिने एहि दुनियासँ नै जाएब नहि त’ हमर दुर्दशा भ’ जाएत।’ पत्नीक जबाब रहैत छलैक-‘ आब ई ककरा हाथमे छै ?छोरु ने एहन बात । बाल बच्चाकेँ योग्य बना देलियै ने , सब समझदार छै, बस आब की चाही ?ओना हम त’ साथ नहिए छोडब,अँहा जे करी ? ‘ ठीके मृत्यु ककरो हाथमे नै छै।के ककरा साथ छोडिदेतै तकर ठेकान नहि । झुठ्ठी बुढिया एकदिन ओकरा छोडि चुपचाप एहि दुनियासँ चैल गेलैक।ओ जेना टुगर भ’ गेल छल ।आईयो पुरना बातसब सोचि बुढबाक करेजमे टीस ऊठए  लगलै ।… ओम्हरसँ अबैत सम्वादक किछु अंश पुन: कानधरि पहुँचिए जाइत रहैक- 

  • कोनहु मानसिक समस्या त’ नै छै बाबूजीकेँ?
  • भ’ सकैए 
  • तखन त’ ईलाज कराब’ पड़तै
  • ईलाजमे दूटा समस्या छै 
  • कोन कोन ?
  • पहिल ई जे बाबूजीकेँ कहबै कोना जे अँहाके मानसिक समस्या भ’ सकैए
  • आ’ दोसर ?
  •  दोसर ई जे इलाज कराब’ के ल’ जएतै ? अँहूके नोकरी आ’  हमरो नोकरी ।फुरसति कहाँ अछि?

    भितर चुप्पी सधा गेल छल । एमहर बुढबाके बुझाए लगलै जे ओकरा ठीके मानसिक समस्या भ’ सकैए ।एहि नगरमे ओकरा सब चोर उचक्का आ’ ठग बुझाई छै आ’ प्रत्येक दिन लगैछै जे आई ‘संयोगसँ बाँचि गेलहुँ।’ 

                 संसारमे चाहे कतहु भुकम्प अबौक, तुफान अबौक अथवा कोनहु घटना घटित होउक ओकरा सदैव बुझाइत रहैत छै जे ओ संयोगसँ बाँचि गेल।ओहो त’ एहि घटनामे पैर सकैत छल । एतेक धरि जे ओकरा सब डाक्टर महाठग बुझाई छै । दलाल आ’ यम आरके भरोसे चलए बला जन्तुकेँ डाक्टर कोना कहबै  ? भरोसा कोना करबै ओकरा पर ? एत्त’ लोक डाक्टर भरोसे नै सँयोगसँ बाँचि रहल अछि ।

         तथापि ओकरो त’ ओही डाक्टर लग जएबाक छै ।मुदा कहिया ? बुढबा सोचैत सोचैत निचोड निकालैत अछि – ‘ बेटा पुतहुकेँ जहिया फुरसति हएतै तहिया ल’ जाएत ने , एहिमे चिन्ताक कोन बात ? पढा लिखाक’ योग्य बनाईए देने छियई। स्वयं बुझनुक आब भ’ गेल अछि ।’ 

        कखनो ओकरा होइत छै गामे चल जाइत छी ।एहिठाम रहने बच्चासबकेँ बड तकलिफ छै।फेर होइत छै नहि यदि गामपर एसगरे रहब तखन बौआसबकेँ बदनामी हएतै।हँ, ओकर दिमाग खराब भ’ गेल छै| तैं ने ई बेकारके बातसब दिमागमे अनैत रहैत अछि । बुढबा ईएह सब सोचि रहल छल आ’ आँखिसँ नोर सेहो बहैत जा’ रहल छलैक … अनेरे …  टुग्गर जकाँ।