एकटा जंगलमे एकटा बादुर रहैत छल । ओ बहुत आलसी छल । कोनो काज करएसँ पहिने हजार बेर सोचैत छल । ओ बादुर जाहि जंगलमे रहैत छल ओतए चिड़ै आ जानवर बीच बेर–बेर झगड़ा होइत छल । जे पक्ष जीतैत छल ओहि पक्षके लेल हरलहवा पक्ष भोजनक व्यवस्था करैत छल ।
एक समयके बात अछि, जंगलमे फेरसँ चिड़ै आ जानवर बीच लड़ाइ शुरु भऽ गेल । जाहि कारण सभसँ बेसी सोचमे बादुर पडि़ गेल । कारण जे बादुर तऽ आलसी छल, एहनमे ओ लड़ाइ कोना करत ? ओ अपना दिमागमे एकटा उपाय सोचलक जे किए ने चिड़ैसभके दिशसँ लड़ाइ कएल जाए । किछुए कालक बादमे जखन बादुर देखलक जे लडाइमे जानवरसभके पलड़ा भारी अछि तऽ चुपचाप गाछक ठाढि़पर उल्टा लटैक गेल । किछु कालक लडाइके बाद जानवरसभ लड़ाइ जीत लेलक । आब जखन जानवरसभ लडाइ जीत लेलक तऽ खानाक व्यवस्था करएके भार चिड़ैसभपर आबि गेल । विचारा बादुर की करए ? ओ चुप्पेचाप जानवरसभक भीड़मे पसि गेल जाहिसँ ओकरा खाना बनाबए नहि परए ।
एही सन्दर्भमे जानवरसभके बीचमे बहस उठि गेल जे आखिर जानवरसभक भीड़मे बादुर कोना आबि सकैए ? ई ओकर अधिकारक बात नहि, कियाक तऽ बादुर चिड़ैसभके दिशसँ लड़ाइ कएने छल । नढिया जे अपने चलाक जाति होइत अछि से अहि बातके बिरोध करैत स्पष्ट रुपसँ अपन धारणा जंगलक राजा बाघके समक्ष राखि देलक । बाघ ई बात सूनि बहुत क्रोधित भऽ गेल आ झट्टसँ बादुरके सभामे पेश करए नढियाके आदेश दऽ देलक । बाघक सन्देश लऽ कऽ नढिया बादुर लग गेल । नढिया बादुरके धम्की दैत बाजल – बहुत भेलौ, आब निकलतौ खुवा मलिद्दा । बादुर सकपकाइत नढियाके कहलक– सरकार हम अहाँक बात नहि बुझलौं । नढिया चुटकी लैत बाजल – सभ पता चलि जाएत जखन राजाजी लगमे पहुँचब तऽ । बादुर अञ्जान बनैत पुछलक – सरकार अपने कि कहए चाहैत छी, हम एकर अर्थ नहि बुझलौं । नढिया गुम्हरैत जवाफ देलक – अर्थ नहि बुझलौं ? रै ! लड़ए बेर तुँ चिड़ैसभके दिशसँ लड़ाइ लड़ले आ खाना बनाबऽके बेर अएलौ तऽ हमरासभके पक्षमे चलि अएले । तोरा एहि गल्तिके सजाय भेटतौ, चल राजाजी बजेलखुन्ह ।
बादुर थरथर काँपए लालग आ डरे नढियाके पाछू–पाछू बाघ दिश विदा भेल । सभामे सभ जानवरसभक उपस्थिति छल । बाघ, भालु, हाथी, वानर, नढिया, सभके सभ । पूरा सभामे डराएल अवस्थामे ठाढ़ बादुरसँ बाघ पुछैत अछि – तुँ लड़ऽ बेरमे चिड़ैसभके दिशसँ लड़ाइ लड़ले तऽ किए हमरासभक भीड़मे शामिल भेले ? कहबी छै ने ‘मरता क्या नहि करता ? बादुरके सेहो एहने अवस्था छल । जँ ओ कोनो चलाकी नहि करत तऽ ओ मारल जाएत । ओ जबाब देलक –सरकार हमरा तऽ दाँत अछि हम केना चिड़ै भेलहुँ ? कोनो चिड़ैके दाँत होइत छै, अहीँ कहू तऽ ? हम त बच्चा जन्मऽबैत छी आ दूधो पियाबैत छी । कि कोनो चिड़ै बच्चा जन्मऽबैत अछि आ दूध पियाबैत अछि ? बादुरक ई जबाव सूनि बाघ सन्तुष्ट होइत ओकरा अपन गैंगमे शामिल कऽ लेलक । बादुर ऐश मौजसँ जानवरसभके संगे रहए लागल । ओ बिना कोनो लड़ाइ लड़ले रंग–विरंगक पकवान खाए पिबए लागल ।
एम्हर युद्धमे पराजयसँ लज्जित चिड़ैसभ फेरसँ युद्धक तैयारी करए लागल । चिडैÞसभके जानवरसभके लेल खाना बनबैत–बनबैत मोन अकैछ गेल छल । तँए ओसभ एहि बेर कोनो विधि युद्ध जीतएके योजना बनाबए लागल । किछ दिनक बाद जखन युद्धक तैयारी पूरा भऽ गेल तऽ ओसभ फेरसँ युद्धक विगुल पूmकि देलक । चिड़ैसभ अपन युद्धक सन्देश लऽ कऽ दूतके पठौलक । जाहि सन्देशके सूनि जानवरसभक राजा बाघ अत्यन्त क्रोधित भऽ गेल । बाघ सेहो एहि बेर चिड़ैसभके निर्मूल कऽ देबाक उद्देश्यसँ युद्धक मैदानमे उतरए सभ जानवरके आदेश देलक, मुदा ओ सब युद्धके तैयारी नीकसँ नहि कएने छल । ऐश मौजके जिनगीमे एना ने हेरा गेल छल जे चिडैसभके षडयंत्र जानवरसभ बुझहे नहि सकल ।
युद्ध शुरु होबएके अन्तिम तैयारी भऽ रहल छल एम्हर बादुर फेरसँ चिन्तामे पडि़ गेल । कहीं युद्ध चिड़ैसभ जीत जाएत तऽ फेर ओकरा भानस बनाबए पड़त आ जओं जानवर जीत गेल तऽ ओकरा जानवरसभके लेल युद्ध करए पड़त । ओ कि करए किछु सोचए नहि पाबि रहल छल । चिड़ै आ जानवरसभ बीचमे घमासान लडाइ शुरु भऽ गेल । बादुर कि करए ?! ओ फेर पुरनके उपाय सोचलक आ चुप्पेचाप गाछक ठाढि़पर उल्टा लटकि गेल । कुशल रणनीति आ बढियाँ तैयारीके कारण अहि बेरक युद्ध चिड़ैसभ जीत गेल । ई देखि बादुर चुप्पेचाप फेरसँ चिड़ैसभक भीड़मे सम्मिलित भऽ गेल । चिड़ैसभ बादुरके एहि किरदानीपर तमसा गेल । बादुर तऽ जानवरसभके गैंगमे छल तऽ फेर ई कोना चिड़ैसभमे सन्हिया आएल – उल्लु बाजल । ई बात लऽ चिड़ैसभक राजा गरुड़ लग पहुँचल । गरुड़ बादुरके सभामे हाजिर होबए आदेश देलक । बादुरसँ गरुड़ सेहो उएह प्रश्न पुछैत अछि – तुँ तऽ लड़ाइ जानवरसभके दिशसँ लड़ले तऽ खाए बेरमे किए हमरासभके बीचमे आएल छें ? बादुर अहू ठाम चलाकीपूर्ण जबाव दैत अछि – सरकार हमरा तऽ पाँखि अछि हम जानवर कोना भेलहुँ ? हम तऽ गाछपर रहैत छी, उड़ैत–फिरैत छी । कि कोनो जानवर उडि़ सकैए ? गरुड़ सेहो बादुरक चलाकीपूर्ण जवाबमे फँसि गेल । ओ कि जबाब दिए ? बाध्यतावश गरुड़ बादुरके अपना समूहमे सामेल कऽ लेलक ।
बहुत दिनधरि बादुर अपन वास्तविकता नुकौने बिना परिश्रमके पकवानसभ खाइत–पिबैत रहल । ओकरा एहि बातक कोनो परवाहे नहि छल जे युद्ध के जीतल वा के हारल । मुदा एहि बीचमे जानवर आ चिड़ैसभक बिच सुलह करबाक बात उठल । नहि एना झगड़ा केलासँ नहि हाएत । समाजमे मीलि कऽ समानरुपसँ रहबाक चाही । चिडैÞके राजा गरुड़ आ जानवरके राजा बाघ बीच विभिन्न सम्झौता भेल आ ओ सब मीलि कऽ रहबाक फैसला कएलक । बादुरके आफत भेल गेल जे आब की हाएत ? ओ चुपचाप नुकाएल फिरए । किछ दिनक बाद दुनू पक्षसमक्ष बादुरक चर्चा भेल आ तखन जा कऽ ओकर भेद खूलि गेल । बाघ आ गरुड़ दुनू बादुरके सजाय देबाक निर्णय कएलक । दुनू बादुरके अपन अपन समूहसँ निष्काशित कऽ देलक । चलाकी पकड़एलाक कारण लज्जित बादुर तहिएसँ असगरे रहए लागल आ रातिमे चोराक मात्र निकलए, जे क्रम अखनोधरि जारी अछि ।