हमरा चाही एहन जनकपुर
डा. विजय कुमार सिंह
जखन हम जनकपुरधामक सुन्दर आ समग्र सम्भाव्य स्वरुपक कल्पना करैछी तँ शहरक जे रुप–रेखा हमरा मानस पटल पर अनायासे उभइर जाइत अछि ओ अछि एकटा पुरान गौरवपूर्ण विरासत वाला पौराणिक, ऐतिहासिक, सांंस्कृतिक, सुन्दर समृद्ध नगरी जे मात्र हिन्दु धर्म–संस्कृतिक आदर्श मातृशक्ति सीताक जन्म आ बाल्यकालक लीलाभूमि मात्र नहि छल अपितु राजर्षि विदेह जनक सहित अनेकानेक वैदिक ऋचा, संहिता, उपनिषद आ दर्शनसभक द्रष्टा–श्रष्टा ऋषि–मुनीसभक कार्यस्थलके रुपमे प्रतिष्ठित आ अनादि वैदिक–उत्तर–वैदिक कालक प्रमुख केन्द्र सेहो छल ।
नगरवासीसभके सक्षम प्रभावकारी व्यवस्थापन अन्तर्गत आधुनिक संचार सुविधा सहित गुणवत्तापूर्ण स्तरीय नागरिक सुविधा सहजे उपलब्ध कराय, जहॉं आर्थिक विकासक विभिन्न गतिविधि आ समृद्धताक संगहि स्तरीय शिक्षा, चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करावए सकए, जतएं सुन्दर कोमल पर्यावरणीय वातावरणमे बसोवास सहित नगरभरि अनेक सार्वजनिक उद्यान–वाटिका, जल प्रपात–फब्बारा, बहुआयामी क्रीड़ास्थल आ सभागृह आदिक प्रचुर उपलब्धता होइक, सुन्दर विस्तृत चौक–चौराहा सहित आवागमनक आरामदायक सुविधा होइक, जतएं नृत्य–गान सहित विभिन्न रचनात्मक आनन्द–प्रदायिनी ललित कला–संस्कृतिक बहुआयोजन सहित शारीरिक–मानसिक–बौद्धिक क्रियाकलाप आदि प्रचुर गतिविधिसभक विविधतापूर्ण उपलब्धता होइक ।
यथार्थतः आजुक समय आ सन्दर्भमे जनकपुरधामके आधुनिक समकालीन नगरक स्वरुप ग्रहण करए पड़त, जे स्वच्छ–सुघर–हरलभरल पर्यावरण–मैत्री होइक, जे नगरवासीसभके सक्षम प्रभावकारी व्यवस्थापन अन्तर्गत आधुनिक संचार सुविधा सहित गुणवत्तापूर्ण स्तरीय नागरिक सुविधा सहजे उपलब्ध कराय, जहॉं आर्थिक विकासक विभिन्न गतिविधि आ समृद्धताक संगहि स्तरीय शिक्षा, चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करावए सकए, जतएं सुन्दर कोमल पर्यावरणीय वातावरणमे बसोवास सहित नगरभरि अनेक सार्वजनिक उद्यान–वाटिका, जल प्रपात–फब्बारा, बहुआयामी क्रीड़ास्थल आ सभागृह आदिक प्रचुर उपलब्धता होइक, सुन्दर विस्तृत चौक–चौराहा सहित आवागमनक आरामदायक सुविधा होइक, जतएं नृत्य–गान सहित विभिन्न रचनात्मक आनन्द–प्रदायिनी ललित कला–संस्कृतिक बहुआयोजन सहित शारीरिक–मानसिक–बौद्धिक क्रियाकलाप आदि प्रचुर गतिविधिसभक विविधतापूर्ण उपलब्धता होइक ।
परञ्च गौरवशाली परम्परा आ अतीतसँ विभूषित ई नगरी अनिवार्यतः अपन सांंस्कृतिक, धार्मिक, आध्यात्मिक, सामाजिक एवं पारम्परिक विरासतसँ निरन्तरक प्रयाससँ जुड़ल रहि गतिशीलतापूर्वक सनातन मूल्य–मान्यताक संग जीवन्त आ आनन्दमय रहवाक चाही । जनकपुरधामक गौरव अति महत्वपूर्ण जानकी मन्दिर सहित अन्य कुट्टी–मन्दिर, कूप–कुण्ड–तलाव आ दूधमती नदी आदि प्राकृतिक धरोहरसँ सुशोभित ई पौराणिक नगरीक मूलतः उदात्त, उदार, सांंस्कृतिक आ धार्मिक पर्यटकीय केन्द्रक रुपमे संरक्षित÷ पुनर्विकसित करए पड़त आ इएह प्रकारक मर्यादित विशिष्ट गतिविधिसभसँ मात्र ई पौराणिक, आध्यात्मिक विचारक उद्गम स्थली नगरी समग्रतामे आजुक आधुनिक समकालीन शहरक रुपमे सामाजिक, सांंस्कृतिक, आर्थिक आ जीवन्त गतिशीलता प्राप्त करत ।